चीन सरकार ने कोविड -19 (COVID-19) के टीका अनुसंधान की पांच योजनाओं को समर्थन दिया है, और इस समय ये सभी योजनाएं सुव्यवस्थित रूप से जारी हैं. विशेषज्ञ अपने अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों के साथ सहयोग करना चाहते हैं. पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रथम अस्पताल के संक्रामक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. वांग क्वेईछांग ने कहा कि चीन सरकार ने टीका अनुसंधान योजना बनायी है. टीका अनुसंधान एक बड़ा कार्यक्रम है. अभी तक चीन ने अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन आदि देशों के साथ इस पर सहयोग किया है.
चीनी विज्ञान अकादमी के सूक्ष्म जीव विज्ञान अनुसंधान संस्था की शोधकर्ता डॉ. येन चिंगह्वा ने कहा कि टीका अनुसंधान में शामिल एक शोधकर्ता के रूप में मुझे अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों के साथ सहयोग करना चाहिये, क्योंकि विभिन्न प्रयोगशालाओं और विभिन्न उद्यमों की अपनी-अपनी श्रेष्ठता होती है. अगर हम उन श्रेष्ठता से लाभ उठाते हैं, तो यकीनन टीका अनुसंधान की प्रक्रिया और तेज होगी, ताकि हम जल्द-से-जल्द सुरक्षित व कारगर टीका बना सकें.
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भारत को मिली है सेफ्टी ट्रायल में सफलता
पूरी दुनिया में कोरोनावायरस (Corona Virus) ने तहलका मचा रखा है. चीन के वुहान शहर से निकल कर दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोविड -19 (COVID-19) की काट अभी तक किसी भी देश के पास नहीं है. महामारी के इस वायरस ने अमेरिका, ब्रिटेन और इटली जैसे देशों को भी नेस्तोनाबूद कर दिया जिसकी वजह से ये देश आज तबाही के कगार पर जा पहुंचे हैं. वहीं भारत ने इस महामारी को कड़ी टक्कर देते हुए अभी तक मोर्चा संभाल रखा है. इस बीच चंडीगढ़ के पीजीआई से एक बहुत अच्छी खबर आई है. चंडीगढ़ पीजीआई को कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैक्सीन बनाने में के दौरान सेफ्टी ट्रायल सफलता हाथ लगी है.
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कुष्ठ रोग की दवा MWP का सफल टेस्ट
भारत में कुष्ठ रोग के इलाज में दी जाने वाली दवा एम.डब्ल्यू का पी.जी.आई. ने ऐसे मरीजों पर टेस्ट करके असर देखा, तो पाया कि जिन्हें ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत थी ऐसे 4 मरीजों को एम.डब्ल्यू. वैक्सीन की 0.3 एम.एल. दवा का इंजेक्शन लगातर 3 दिनों तक दिया गया और पया कि इन मरीजों पर इस वैक्सीन का इस्तेमाल बिलकुल सक्षित है. चंडीगढ़ PGI के डॉक्टरों ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि इस दवा का इस्तेमाल पहले कुष्ठ, निमोनिया और तपेदिक से पीड़ित मरीजों को दी जाती थी, उन मरीजों पर यह दवा सफल पाई गई थी. अब जब इस वैक्सीन को कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को दी गई तो यहां भी डॉक्टरों को सफलता हाथ लगी है.