तालिबान से सुधर रहे हैं संबंध, जल्द शुरू होगी भारत-अफगान हवाई सेवा
भारत और तालिबान के बीच संबंध सुधरते नजर आ रहे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद पहली बार 2 जून, 2022 को भारत का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान दौरे पर गया था.
highlights
- तालिबान सरकार ने भारत के साथ हवाई सेवा बहाल करने को दी मंजूरी
- भारतीय प्रतिनिधियों की 2 जून की यात्रा के दौरान दोनों देशों में बनी सहमति
- अफगान व्यापारियों ने भारत के साथ जल्द व्यापार शुरू करने की जताई इच्छा
नई दिल्ली:
भारत और तालिबान के बीच संबंध सुधरते नजर आ रहे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद पहली बार 2 जून, 2022 को भारत का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान दौरे पर गया था. इस दौरान दोनों देशों के बीच हवाई सेवा फिर से बहाल करने पर सहमति बनी. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी संभावना जताई गई है कि अगले सप्ताह से दोनों देशों के बीच हवाई सेवा शुरू हो जाएगी. अफगानिस्तान की प्रमुख एयरलाइंस कंपनी एरियाना अफगान के प्रमुख रहमतुल्ला आगा ने घोषणा की थी कि जल्द ही भारत, चीन और कुवैत के लिए अफगानिस्तान से उड़ानें फिर से शुरू होंगी, लेकिन ध्यान नई दिल्ली पर था. उन्होंने कहा, ‘जल्द ही भारत के लिए उड़ानें शुरू होंगी, जहां बहुत सारी चीजें करनी हैं. हमारे कई यात्री इलाज के लिए वहां मौजूद हैं. चीन और कुवैत के लिए भी हमारी उड़ानें जल्द ही शुरू होंगी.’ भारत के लिए उड़ानें फिर से शुरू करने और डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला को वतन वापसी की अनुमति देने का निर्णय, गत 2 जून को एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अफगानिस्तान दौरे के बाद आया है.
तालिबान ने भारत के साथ उड़ान सेवा को बताया जरूरी
अफगानिस्तान की प्रमुख एयरलाइंस कंपनी एरियाना अफगान के प्रमुखिया रहमतुल्ला आगा ने घोषणा की कि जल्द ही भारत, चीन और कुवैत के लिए उड़ानें फिर से शुरू होंगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और भारत के बीच उड़ानें बहुत जल्द शुरू होंगी, जहां बहुत सारी चीजें करनी हैं. उन्होंने कहा कि हमारे कई यात्री इलाज के लिए भारत में मौजूद हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन और कुवैत के लिए भी हमारी उड़ानें जल्द ही शुरू होंगी. भारत अफगानिस्तान के बीच हवाई सेवा बहाल करने का यह फैसला पिछले 2 जून को एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अफगानिस्तान दौरे के बाद आया है.
डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला की होगी वतन वापसी
इस बीच तालिबान ने अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती सरकार में राष्ट्रीय सुलह के लिए गठित उच्च परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला को भी भारत से अफगानिस्तान लौटने की इजाजत दे दी है. तालिबान ये फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब हाल ही में तालिबान ने अफगानिस्तान के पूर्ववर्ती सरकार में बनाए गए कुछ विभागों और गठित की गई संस्थाओं को भंग कर दिया था. गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुलह के लिए गठित उच्च परिषद भी उनमें से एक था.
तालिबान सरकार को मजबूत करने की जरूरत : एनएसए
इससे पहले भारत ने UNSC में आतंकवाद के खिलाफ तालिबान सरकार को मजबूत करने की मांग वाला प्रस्ताव पेश किया था. भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने कहा था कि आतंकवाद और आतंकवादी समूहों का मुकाबला करने के लिए अफगानिस्तान की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं. यह टिप्पणी UNSC में भारत की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कही गई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे भारत विरोधी विदेशी आतंकवादी समूहों की मौजूदगी है.
वार्ता के केंद्र में रहा सुरक्षा और व्यापार
गौरतलब है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार 2 जून 2022 को भारत का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान दौरे पर गया था. इस दौरान भारतीय अधिकारियों की काबुल में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी और उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टैनिकजई के साथ कई दौर की बात हुई. इस दौरान भारत के साथ व्यापार संबंधों को फिर से शुरू करने के साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा के पहलुओं पर भी बात हुई.
भारत-अफगान व्यार खुलने के पक्ष में हैं व्यापारी
भारत और अफगानिस्तान के बीच हवाई सेवा बहाल होने और दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने का अफगानिस्तान के व्यापारियों ने स्वागत किया है. अफगान मीडिया से बात करते हुए अफगानिस्तान चैंबर ऑफ एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक (ACAL) के सदस्य मीरवाइज हाजी जादा ने कहा कि भारत का बाजार हमारे कृषि क्षेत्र के लिए एक अच्छा अवसर है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में इस वक्त अंगूर, अनार, खुबानी, केसर और औषधीय पौधों का मौसम है. भारत के साथ व्यापार शुरू होने से दोनों ही देशों को इसका लाभ मिलेगा.
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