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महाशक्ति बनने की भारत की इच्छा चीन के लिये चुनौती चीनी मीडिया

ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की भारत को महहाशक्ति बनाने की कोशिश से दोनों देशों के बीच रिश्ते जटिल हो सकते हैं।

Updated on: 18 May 2017, 08:10 AM

नई दिल्ली:

भारत की महाशक्ति बनने की कोशिश से चीन की परेशानी बढ़ गई है। ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की भारत को महाशक्ति बनाने की कोशिश से दोनों देशों के बीच रिश्ते जटिल हो सकते हैं।

चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख मे कहा गया है कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और आत्म विश्वास उसे विश्वशक्ति बनने की तरफ ले जा रहा है। एसे में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ करीबी संबंध बनाने का प्रयास भारत कर सकता है। इस गठजोड़ के ज़रिये भारत तमाम वैश्विक मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश करेगा।

लेख में कहा गया है, ‘मोदी प्रशासन मौजूदा कूटनीतिक रणनीति में ज्यादा बदलाव नहीं करेगा। इसे क्षेत्रीय दृष्टिकोण से परे और महाशक्ति का दर्जा पाने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है।'

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साथ ही यह भी कहा है, 'इसमें बड़ी महाशक्तियों के बीच कूटनीतिक संतुलन बनाने, अमेरिका को ज्यादा प्राथमिकता देने, चारों तरफ सुरक्षा मजबूत करने, खास कर अपना ध्यान चीन और पाकिस्तान पर रखने, अधिक साझेदार बनाने, जापान और ऑस्ट्रेलिया को प्राथमिकता देने और भारतीय उत्पादों को प्रचारित करने के तौर पर देखा जा सकता है।’

लेख में लिखा गया है कि चीन की अगुवाई वाला शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल होकर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।

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लेख में कहा गया है, ‘हालांकि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा क्षेत्र में अग्रणी शक्ति बनने की प्रक्रिया में भारत के लिए यह समझना बड़ी चुनौती होगी कि पाकिस्तान, चीन और अन्य पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को बेहतर तरीके से कैसे संभाला जाए।’

अखबार ने कहा है कि भारत की वर्तमान विदेश नीति मोदी और उनकी टीम की राजनीतिक आकांक्षा और आत्मविश्वास का विस्तार है जो महाशक्ति बनाने के लिये भारत की महत्वाकांक्षा को भी दर्शाती है।

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