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भारत को हेकड़ी दिखाना चीन को पड़ सकता है मंहगा:ग्लोबल टाइम्स

चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने अपने संपादकीय के जरिए भारत के प्रति हेकड़ी दिखाने वाले रवैये को लेकर सावधान किया है।

Updated on: 04 Mar 2017, 08:56 AM

highlights

  • चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत की तरक्की की तारीफ 
  • ग्लोबल टाइम्स ने भारत के प्रति चीन की हेकड़ी को लेकर भी किया अगाह 
  • नोटबंदी के दौरान भी मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में  8.3 फीसदी रहना उपलब्धि 

नई दिल्ली:

चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने अपने संपादकीय के जरिए भारत के प्रति हेकड़ी दिखाने वाले रवैये को लेकर सावधान किया है। अखबार का मानना है कि निर्यात और मैनुफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत लगातार तरक्की कर रहा है। लेख में कहा गया है कि नोटबंदी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के सुस्त रहने के बावजूद मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में 8.3 फीसदी की बढ़ोतरी एक बड़ी उपलब्धि है।

अखबार ने चीन को अगाह किया है कि मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत का विकास कड़ी प्रतिस्पर्धा और अधिक दबाव की संभावना को बढ़ाता है। हालांकि लेख में यह भी कहा गया है कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि भारत, विनिर्माण क्षेत्र में चीन की जगह ले सकता है।

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संपादकीय के मुताबिक, '(प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के कदम ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर ब्रेक लगाया है, लेकिन तीसरी तिमाही में देश के विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार फिर भी 8.3 फीसदी है। यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि कुछ विशेषज्ञों ने कहा था कि नोटबंदी से विकास के आंकड़ों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता है।'

अखबार ने कहा, 'भारत जैसे बड़े देश में मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास का अर्थ है चीन पर ज्यादा दबाव। भारत के विनिर्माण क्षेत्र से मिल रही प्रतिस्पर्धा एक रणनीति महत्ता का मुद्दा है और इसपर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है।'

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अखबार के मुताबिक, 'अक्टूबर से दिसंबर 2016 के दौरान भारत की विकास दर सात फीसदी रही है, जो अनुमान से अधिक है और यह आंकड़ा सही है या नहीं, इस पर काफी बहस भी हुई है। इस बीच देश की अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कम ध्यान दिया गया। जिस चीज को नजरअंदाज किया गया, वह है भारत के विनिर्माण क्षेत्र की बढ़ती प्रतिस्पर्धा।'

संपादकीय में कहा गया, 'जनवरी महीने में भारत द्वारा चीन को निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 42 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जिसकी चीन के अधिकांश विशेषज्ञों ने अनदेखी की। लेकिन अगर चीन ने भारत की बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर अभिमानी रवैया अपनाया तो यह बेहद खतरनाक होगा।' 

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संपादकीय के मुताबिक स्क्रू से लेकर कर्मशियल विमानों के निर्माण के लिए कम समय में औद्योगिकी श्रृंखला का निर्माण करना आसान नहीं है। भारत निर्मित वस्तुओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए।