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भारतीय लोकतंत्र अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ‘‘जोरदार बहस’’ सुनिश्चित करता है: पोम्पिओ

भारत और अमेरिका के बीच दूसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता के समापन पर पोम्पिओ का यह बयान बुधवार को आया.

Updated on: 19 Dec 2019, 07:21 PM

वाशिंगटन:

भारत में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिका भारत के लोकतंत्र का सम्मान करता हैं क्योंकि नागरिकता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर वहां दमदार तरीके से चर्चा और बहस हुई. भारत और अमेरिका के बीच दूसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता के समापन पर पोम्पिओ का यह बयान बुधवार को आया. अमेरिकी विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय बैठक के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. इसके बाद यहां दूसरी ‘टू प्लस टू’ वार्ता के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी शामिल हुए. पोम्पिओ ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘‘ हम हर जगह अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक अधिकारों का बेहद ख्याल रखते हैं.

हम भारत के लोकतंत्र का सम्मान करते हैं क्योंकि आप ने जो मुद्दा उठाया है, उस पर वहां मजबूत चर्चा और बहस हुई है.’’ पोम्पिओ संशोधित नागरिकता कानून को लेकर भारत में हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उनसे पूछा गया था कि क्या नागरिकता के लिए लोकतंत्र में धर्म को आधार बनाना उचित है? वहीं विदेश मंत्री जयशंकर ने सवाल के अपने जवाब में कहा, ‘‘ आपने भारत के संबंध में जो सवाल पूछा है, अगर आप उस कानून पर हुई बहस पर गहन विचार करेंगे तो पाएंगे कि यह कुछ देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया कदम है.’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘अगर आप उन देशों को देखेंगे कि वह क्या हैं और इसलिए वहां के अल्पसंख्यकों का क्या हाल है तो शायद आप समझेंगे कि क्यों भारत आए लोगों के संदर्भ में कुछ धर्मों की पहचान की गई.’’ विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि ट्रंप प्रशासन और विदेश मंत्री पोम्पिओ के लिए मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता एक मुख्य मुद्दा हैं. अधिकारी ने कहा कि मंत्री ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इसी कानून को लेकर भारत में एक बहस चल रही है. यह एक ऐसा कानून है जिसकी समीक्षा अदालतों द्वारा की जाएगी. इसका राजनीतिक दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है. मीडिया में इस पर बहस हो रही है.

ये सभी संस्थान एक लोकतांत्रिक भारत में मौजूद हैं और इसलिए हम उस प्रक्रिया का सम्मान करते हैं.’’ अधिकारी सीएए पर भारत में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर पूछे गये एक सवाल का जवाब दे रहे थे. सीएए के अनुसार 31 दिसम्बर, 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन हेतु पात्र बनाने का प्रावधान है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि कानून "असंवैधानिक और विभाजनकारी" है क्योंकि यह मुसलमानों को बाहर करता है. अधिकारी ने कहा कि वहीं अमेरिका इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करना जारी रखेगा. उन्होंने कहा, ‘‘व्यक्तिगत नीतियां हो सकती हैं जो चिंता पैदा करने वाली हैं. हम अपनी चिंता व्यक्त करेंगे, हम भारत सरकार के साथ इन मुद्दों पर नियमित रूप से बात करते रहेंगे. लेकिन आप इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि ये ऐसी नीतियां नहीं हैं जो अंधेरे में बनाई जा रही हैं और इसलिए हमें उस बहस का सम्मान करना होगा.’’