चीन की आक्रामकता के विरोध में भारत-अमेरिका ने इस समूह का किया गठन
भारतीय-अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता और जयपुर फुट के अमेरिका में अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने ‘सीमा विवाद और अतिक्रमण’ के रूप में चीन की पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामकता का विरोध करने के लिए एक समूह का गठन किया है.
न्यूयॉर्क:
भारतीय-अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता और जयपुर फुट के अमेरिका में अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने ‘सीमा विवाद और अतिक्रमण’ के रूप में चीन की पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामकता का विरोध करने के लिए एक समूह का गठन किया है. भारतीय अमेरिकी समुदाय के कई सदस्य ‘अपोज चाइना इम्पीरियलिज्म ग्रुप-23’ (ओसीआईजी-23 या चीनी साम्राज्यवाद के विरोध समूह) से जुड़े हैं.
भंडारी ने इस समूह की चार जुलाई को शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इसका मकसद उन देशों को साथ लाना है जिनका चीन के साथ सीमा विवाद है और जो उसकी आक्रामक रणनीति का विरोध करते हैं. भंडारी ने कहा कि चीन पड़ोसियों के साथ ‘सीमा विवाद और अतिक्रमण’ में शामिल है और अब समय आ गया है देश और समुदाय इस आक्रामकता के खिलाफ एकजुट हों. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत, चीन को मुंहतोड़ जवाब देगा.
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख के पेगोंग सो और गलवान घाटी सहित विभिन्न इलाकों में गत आठ हफ्ते से भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है. पिछले महीने स्थिति उस समय और खराब हो गई जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए. इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दोनों ओर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को हुई बातचीत के बाद सोमवार को चीनी सैनिकों ने पीछे हटने की शुरुआत की.
भंडारी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी वुहान में शुरुआत में कोरोना वायरस की महामारी को कथित तौर पर छिपाने के लिए चीन की निंदा की है. उन्होंने कहा कि उनकी योजना विभिन्न देशों- ऑस्ट्रेलिया से भारत तक- के राजनयिकों को चीन के खिलाफ इस एकीकृत मंच ओसीआईजी-23 पर लाने की है. भंडारी ने कहा कि उनकी योजना ओसीआईजी-23 के बैनर तले संयुक्त राष्ट्र के समक्ष चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की है.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकियों ने प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वॉयर पर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और बीजिंग का आर्थिक और कूटनीतिक बहिष्कार करने की मांग की थी. भंडारी उन आयोजकों में शामिल थे जिन्होंने ‘ बॉयकॉट चाइना’ (चीन का बहिष्कार) नाम से विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें तिब्बती और ताइवानी समुदाय के कुछ लोग भी शामिल हुए थे.
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