श्रीलंका में राजनीतिक संकट के हल होने का भारत ने स्वागत किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने रविवार को कहा, करीब पड़ोसी और सच्चे दोस्त के नाते भारत श्रीलंका में राजनीतिक संकट के हल होने का स्वागत करता है. यह श्रीलंका के सभी राजनीतिक दलों की परिपक्वता को दिखाता है. साथ ही श्रीलंका के लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं की लचीलता को दर्शाता है.
रवीश कुमार ने कहा, भारत श्रीलंका में जनहित के लिए विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमें विश्वास है कि भारत-श्रीलंका के संबंध अब नई ऊंचाई पर जाएंगे.
बता दें कि महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद रानिल विक्रमसिंघे एक बार फिर श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं. श्रीलंका के विवादास्पद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने शनिवार को बेहद दबाव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें सात हफ्ते पहले एक अप्रत्याशित कदम के तहत देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, जिससे वहां राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था. टेलीविजन फुटेज के अनुसार, राजपक्षे ने राजधानी में अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच इस्तीफे पर हस्ताक्षर किया था. राजपक्षे के इस्तीफे से दो माह लंबा चला सत्ता संघर्ष भी समाप्त हो गया और राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के अधीन नई सरकार बनने का रास्ता भी साफ हो गया.
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श्रीलंका में यह राजनीतिक संकट तब पैदा हो गया था, जब सिरिसेना ने अचानक 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था. जब सिरिसेना के निर्णय को चुनौती दी गई, तो उन्होंने संसद भंग कर दी और जनवरी में आकस्मिक संसदीय चुनाव की घोषणा कर दी. रविवार को ही रानिल विक्रमसिंघे ने बतौर प्रधानमंत्री शपथ ले ली.
Source : News Nation Bureau