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दाऊद इब्राहिम के खास मोतीवाला से उगलवाएगा भारत कई सच, ब्रिटेन से किया अनुरोध

भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मोतीवाला से न सिर्फ मुंबई के श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी, बल्कि दाऊद के ड्रग साम्राज्य समेत अन्य आपराधिक कारनामों का भी सुराग लगेगा.

Updated on: 17 Jul 2019, 09:02 AM

highlights

  • दाऊद इब्राहिम की छठी-पसनी से अच्छे से वाकिफ है जबीर सिद्दकी उर्फ मोतीवाला.
  • भारत ने मोतीवाला से पूछताछ के लिए ब्रिटेन से किया लिखित अनुरोध.
  • अमेरिका भी मोतीवाला का चाहता है प्रत्यर्पण. अगली सुनवाई 22 जुलाई को.

नई दिल्ली.:

भारत ने पाकिस्तान में रह रहे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पर शिकंजा कसने के लिए उसके दाहिना हाथ करार दिए जा रहे जबीर सिद्दकी उर्फ मोतीवाला को घेरना शुरू कर दिया है. दाऊद इब्राहिम की छठी-पसनी से अच्छे से वाकिफ मोतीवाला से पूछताछ करने के लिए मोदी सरकार ने ब्रिटेन से लिखित अनुरोध किया है. भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मोतीवाला से न सिर्फ मुंबई के श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी, बल्कि दाऊद के ड्रग साम्राज्य समेत अन्य आपराधिक कारनामों का भी सुराग लगेगा.

दाऊद के ट्रस्ट का ट्रस्टी भी है मोतीवाला
भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक जबीर दाऊद का बेहद खास है. यहां तक कि वह कराची के इस्लाम बाबा ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक है. इस ट्रस्ट में दाऊद इब्राहिम, उसकी पत्नी, बेटे समेत दो दामाद तक शामिल हैं. देश की सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक यह ट्रस्ट यूं तो धार्मिक गतिविधियों को अंजाम देता है, लेकिन हकीकत में यह ट्रस्ट डी कंपनी की संपत्तियों की ही देखभाल करता है. यही वजह है कि केंद्र सरकार जबीर पर घेरा कस रही है.

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फिलहाल लंदन जेल में है मोतीवाला
इसके लिए भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान अमेरिकी प्रवर्तन संस्थाओं के भी संपर्क में है. जबीर फिलहाल दक्षिण-पश्चिम लंदन के वैंड्सवर्थ जेल में बंद है. अमेरिका भी ड्रग तस्करी, वसूली, ब्लैकमेल औऱ मनी लांड्रिग के लिए जबीर के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में लगा हुआ है. अमेरिका को प्रत्यर्पण के मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी है. माना जा रहा है कि जबीर अफगानिस्तान के रास्ते मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में बड़ा खुलासा कर सकता है.

पिछले साल गिरफ्तार हुआ है मोतीवाला
53 साल का जबीर सिद्दकी मूलतः पाकिस्तानी नागरिक है और दाऊद का बेहद खास माना जाता है. अमेरिका और भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि जबीर को दाऊद के वित्तीय स्रोतों समेत निवेश और फर्जी कंपनियों की पूरी जानकारी है, जिनके जरिये डी कंपनी दुनिया भर से अपने कामों को अंजाम दे रही है. जबीर को स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने 17 अगस्त 2018 को अमेरिकी खुफिया इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया था.

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डी कंपनी की संपत्ति देखता है जबीर
वॉशिंगटन और भारतीय खुफिया संस्थाओं को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि जबीर ही पाकिस्तान समेत एशिया, अफ्रीका औऱ यूरोप में डी कंपनी के आर्थिक मामलों समेत निवेश का पूरा काम देखता है. दाऊद इब्राहिम से जबीर की नजदीकी इस बात से समझी जा सकती है कि कराची के क्लिफ्टन इलाके में उसने दाऊद के बंगले के बगल में ही अपना भी आलीशान बंगला बनाया हुआ है. यह अलग बात है कि इस्लामाबाद लगातार दाऊद की कराची में मौजूदगी से इंकार करता आया है.

पाकिस्तान को लग रहा है डर
इस्लामाबाद को लगता है कि दाऊद इब्राहिम की कराची में उपस्थिति प्रमाणित होने से उसके लिए दुनिया भर में असहज स्थिति हो जाएगी. इससे न सिर्फ दाऊद और आईएसआई की निकटती सिद्ध होगी, बल्कि दुनिया भर में फैले डी कंपनी के कारनामों से पाकिस्तान पर फिर यह आरोप पुख्ता हो जाएगा कि वह डी कंपनी के जरिए तमाम देशों में आतंकवाद समेत आपराधिक कारनामों को अंजाम दे रहा है. पाकिस्तान ने इसी डर से पहले ही दिन से जबीर मामले में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था.

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पाकिस्तानी दूतावास कर रहा है मोतीवाला की मदद
लंदन में पाकिस्तान दूतावास ने न सिर्फ मोतीवाला को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई है, बल्कि उसे बचाने के लिए आर्थिक संसाधन तक झोंके हुए हैं. यह तब है जब अमेरिका ने साफ तौर पर अदालत को कहा हुआ है कि जबीर सिद्दकी उर्फ मोतीवाला दाऊद इब्राहिम का बेहद खास कारिंदा है. इसके जवाब में पाकिस्तानी दूतावास में लिखित तौर पर जबीर को एक सम्मानित शख्स बताया है, जो न सिर्फ पाकिस्तानी पासपोर्ट होल्डर है, बल्कि पेशे से स्टॉक ब्रोकर है. इसी के साथ जबीर के वकील अमेरिका को उसके प्रत्यर्पण का विरोध कर रहे हैं.

अमेरिका ने दिए हैं पुख्ता सबूत
पाकिस्तान हर हाल में जबीर के दाऊद से कनेक्शन को छिपाना चाहता है. हालांकि इस बात की संभावना ना के बराबर है कि पाकिस्तान को इस मामले में कोई राहत मिल सकेगी. इसकी वजह यह है कि अमेरिकी खुफिया संस्था एफबीआई ने बड़ी मशक्कत के बात जबीर के दाऊद से ताल्लुकात और डी कंपनी से उसके संबंधों के सबूत जुटाए हैं. इन तथ्यों के आधार पर अमेरिकी प्रशासन ने ब्रिटेन की अदालत को बीते साल के अंत में एक नया डोजियर भेजा है, जिसमें इन तमाम सबूतों का जिक्र है.

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टाइगर मेमन का भी है जिक्र
खासकर मादक पदार्थों की तस्करी में जबीर और दाऊद की संलिप्त्ता के सबूत भी अमेरिका ने अदालत को उपलब्ध कराए हैं. इनमें छोटा शकील और इब्राहिम रज्जाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन का भी जिक्र है, जो डी कंपनी के लिए मादक पदार्थों की तस्करी को अंजाम देते हैं. गौरतलब है कि मुंबई के 1993 के श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के लिए मुख्य साजिशकर्ता टाइगर मेमन को आरोपी बनाया गया है.