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UN में भारत ने रूस के प्रस्ताव का किया समर्थन, अमेरिका-ब्रिटेन रहे विरोध में

अमेरिका के प्रतिनिधि ने रूसी प्रस्ताव को एक सनक भरे प्रयास की संज्ञा देते हुए कहा कि रूस अपने भू-राजनैतिक लक्ष्यों को बचाने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध और नरसंहार का जिक्र कर रहा है.

Updated on: 06 Nov 2022, 02:09 PM

highlights

  • नाजीवाद के महिमामंडन से मुकाबला के पक्ष में भारत रूस के साथ
  • अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देश रूस के प्रस्ताव के विरोध में रहे

न्यूयॉर्क:

संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध पर मतदान में हिस्सा नहीं लेकर भारत रूस की परोक्ष मदद करता ही आ रहा है. अब संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रस्ताव 'नाजीवाद के महिमामंडन से मुकाबला' के पक्ष में भारत ने खुलेआम मतदान देकर अपना पक्ष फिर स्पष्ट कर दिया है. रूस के इस प्रस्ताव पर गर्मागर्म बहस के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में रूस के प्रस्ताव के पक्ष में 105 वोट पड़े, जबकि 52 देशों ने रूसी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. 15 देशों ने प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने बहस में दो-टूक शब्दों में कहा कि स्वदेशी लोगों की अवधारणा देश के संदर्भ में लागू नहीं होती है. इसके साथ ही भारतीय प्रतिनिधि ने इसी समझ के आधार पर रूस के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. 

प्रस्ताव में आठ मसौदे शामिल
मतदान के बाद समिति ने रूसी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. रूस के प्रस्ताव में स्वदेशी लोगों के अधिकार, डिजिटल दौर में निजता, नाजीवाद के महिमामंडल से मुकाबला समेत प्रस्ताव में आठ मसौदे पेश किए गए थे. प्रस्ताव के मसौदे में मानवाधिकार से जुड़े व्यापक पहलुओं को शामिल किया गया है. इनमें साक्षरता के अधिकार समेत बच्चों का यौन शौषण से बचाव, अपराध की रोकथाम और आपराधिक न्याय समेत नाजीवाद के महिमामंडन से मुकाबला प्रमुख थे. महासभा में नाजीवाद के महिमामंडन, नव फासीवाद और वैफेन एसएस संगठन के पूर्व सदस्यों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई. महासभा में नाजी अतीत के सार्वजनिक प्रदर्शन के जरिये महिमामंडन कर स्मारक तैयार करने के विरोध में भी पक्ष रखा गया. 

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रूस के प्रस्ताव की खास बात
रूस के प्रतिनिधि ने नस्लीय और किसी खास देश के लोगों के खिलाफ उग्र बयानबाजी में आ रही तेजी पर भी विरोध जताया. इसके साथ ही रूस ने शरणार्थियों और प्रवासी लोगों की वापसी का मसला भी उठाया. रूस के इस प्रस्ताव पर कई देशों ने विरोध जताते हुए कहा कि मॉस्को नव फासीवाद के विरोध से जुड़ा प्रस्ताव पेश कर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है. रूस के प्रस्ताव के विरोध में यूक्रेन के प्रतिनिधि का भी यही कहना था कि नाजीवाद या नव नाजीवाद के खिलाफ असल लड़ाई और प्रस्ताव कतई मेल नहीं खाता है. यूक्रेन के पक्ष से सहमति जताते हुए ब्रिटेन ने भी यही कहा कि मॉस्को इस प्रस्ताव की आड़ में यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रामकता को सही ठहराने की कोशिश कर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर अपने झूठ को आगे बढ़ा रहा है. 

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अमेरिका-ब्रिटेन समेत कई देश रहे विरोध में 
अमेरिका के प्रतिनिधि ने रूसी प्रस्ताव को एक सनक भरे प्रयास की संज्ञा देते हुए कहा कि रूस अपने भू-राजनैतिक लक्ष्यों को बचाने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध और नरसंहार का जिक्र कर रहा है. अमेरिका के सुर में सुर मिलाते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि ने भी कहा कि नरसंहार और नाजीवाद की फिलवक्त इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं हैं. कई देश इसी आधार पर रूस के प्रस्ताव की मुखालफत करते दिखे. इनका कहना था कि मॉस्को नव-नाजीवाद से मुकाबला के नाम पर यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रामकता को छिपाने की कोशिश कर रहा है. इस पर रूस का तर्क था कि वह किसी देश के खिलाफ प्रस्ताव लेकर नहीं आया है, बल्कि एक विषय पर चिंता के साथ प्रस्ताव लाया है.