विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि प्रकृति के साथ सौहार्द्र के साथ रहना भारत की मूल प्रकृति है और हम पेरिस समझौते से आगे जाकर भी काम करेंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर मंगलवार को स्वराज ने कहा कि भारत मातृभूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है। भारत पेरिस समझौते से ऊपर उठकर और इसके आगे जाकर भी कार्य करेगा। हमारी प्रतिबद्धता भविष्य की पीढ़ियों के लिए है।
उन्होंने कहा कि हम यूएनएसजी और संबंधित यूएन एजेंसियों खासकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के परिप्रेक्ष्य में साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भारत की पहल पर 30 नवंबर, 2015 को यूएन कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज(सीओपी) पर्यावरण सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को लांच किया था।
दोनों देशों ने सौर संसाधन गठबंधन देशों के रूप में अपनी विशेष ऊर्जा जरूरतों के महत्व पर बल दिया था।
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों की अध्यक्षता में आयोजित 'पर्यावरण समझौते पर एक अलग नेतृत्व सम्मेलन' में सुषमा ने कहा कि भारत पर्यावरण और विकास से संबंधित सभी वैश्विक चर्चा में हिस्सा लेता रहा है।
उन्होंने कहा, 'प्रकृति के साथ सौहार्द्रपूर्वक तरीके से रहना और खपत के लिए सतत ढांचा हमारे मूल स्वभाव में शामिल है।'
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Source : IANS