फिलिस्तीन के लिए एक प्रमुख विकास सहायता साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के बीच एक द्विपक्षीय बैठक के बाद, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में छह समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इस दौरान राष्ट्रपति अब्बास ने शांति प्रक्रिया बरकरार रखने में भारत से समर्थन मांगा है। उन्होंने भारत-फिलिस्तीन संबंधों के विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इसके बाद दोनों पक्षों ने पांच करोड़ डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये।
बेथलेहम के बेत सहौर में 30 लाख डॉलर की लागत से एक भारत-फिलिस्तीन सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
दूसरा समझौता ज्ञापन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए 'तुराथी' नामक भारत-फिलिस्तीन केंद्र के निर्माण के लिए किया गया, जिसकी लागत पांच करोड़ डॉलर है।
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एक अन्य समझौता ज्ञापन पांच लाख डॉलर की लागत से रामल्लाह में एक नेशनल प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना के लिए किया गया।
तुबास प्रांत के तमनून गांव और मुथालथ अल शौहादा गांव में दो स्कूलों के निर्माण के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनकी लागत क्रमश: 11 लाख डॉलर और 10 लाख डॉलर है।
अबू दीस में जवाहर लाल नेहरू स्कूल फॉर बॉयज पर एक अतिरिक्त मंजिल के निर्माण के लिए एक छठे एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
राष्ट्रपति अब्बास ने रामल्ला स्थित राष्ट्रपति परिसर ‘मुकाता’ में एक आधिकारिक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का जोरदार स्वागत किया। रामल्ला से ही फिलिस्तीनी सरकार संचालित होती है।
मोदी फिलिस्तीन की आधिकारिक यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
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मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति अब्बास ने इस बात को स्वीकार किया कि भारतीय नेतृत्व हमेशा फिलिस्तीन में शांति के पक्ष में खड़ा रहा है।
अब्बास ने कहा कि उनकी प्रधानमंत्री मोदी के साथ ‘फलदायी और रचनात्मक’ वार्ता हुई और उन्होंने भारतीय नेता को फिलिस्तीन और क्षेत्र में समूची स्थिति से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन हमेशा से 1967 और अंतरराष्ट्रीय स्तर वैध प्रस्तावों के अनुरूप दो राष्ट्र के सिद्धांत के अनुसार स्वतंत्रता हासिल करने के लिये बातचीत करने को तैयार है, ताकि फिलिस्तीन और इज़रायल का शांतिपूर्ण और सुरक्षित सह-अस्तित्व रहे। हालांकि, शर्त यह है कि पूर्वी यरूशलम फिलिस्तीनी राज्य की राजधानी रहनी चाहिये।
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उन्होंने कहा कि इज़रायल के साथ इस तरह की वार्ता के लिये सबसे आदर्श तरीका अंतरराष्ट्रीय शांति संधि के अनुसार बहुपक्षीय तंत्र बनाना है।
राष्ट्रपति अब्बास ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय आवाज के रूप में भारत की बड़ी प्रतिष्ठा और गुटनिरपेक्ष आंदोलन और सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी ऐतिहासिक भूमिका और रणनीतिक तथा आर्थिक स्तर पर उसकी बढ़ती शक्ति को देखते हुए भारत की भूमिका पर इस तरीके से भरोसा करते हैं जो हमारे क्षेत्र में उचित और जरूरी शांति के लिये उपयुक्त हो।'
अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीन स्वतंत्र देश का दर्जा पाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये बातचीत करने को हमेशा तैयार है। उन्होंने भारत से अपील की कि वह इज़रायल के साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करे।
दो राज्यों के समाधान के तहत स्वतंत्र इज़रायली और फिलिस्तीनी राज्यों का शांतिपूर्ण सह अस्तित्व रहेगा। फिलिस्तीनी पूर्वी यरूशलम को अपने भावी राजधानी के तौर पर देखते हैं।
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वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति अब्बास को आश्वासन दिया कि भारत फिलिस्तीनी जनता के हितों के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति और स्थिरता लौटने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, 'भारत और फिलिस्तीन के बीच मैत्री समय की कसौटी पर खरी उतरी है। फिलिस्तीन के लोगों ने कई चुनौतियों का सामना करने में असाधारण साहस दिखाया है। भारत फिलिस्तीन की विकास यात्रा का हमेशा समर्थन करेगा।'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत फिलिस्तीन के वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण वातावरण में शीघ्र संप्रभु और स्वतंत्र देश बनने की उम्मीद करता है।
मोदी ने कहा, 'हम फिलिस्तीन में शांति और स्थिरता की उम्मीद करते हैं। हम मानते हैं कि वार्ता से स्थायी समाधान संभव है। सिर्फ कूटनीति और दूरदर्शिता से हिंसा और अतीत के बोझ से मुक्त हुआ जा सकता है। हम जानते हैं कि यह आसान नहीं है, लेकिन हमें प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि काफी कुछ दांव पर है।'
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हालांकि भारत इज़रायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष में पक्षकार बनने से दूर रहा है, लेकिन फिलिस्तीनी नेताओं ने कई मौके पर पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया में भारत की संभावित भूमिका पर जोर दिया है।
भारत दो राष्ट्र के समाधान का समर्थन करता रहा है। इसके तहत इज़रायल और भावी फिलिस्तीनी राज्य का शांतिपूर्ण तरीके से सह अस्तित्व रह सकता है।
मोदी की फिलिस्तीन यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरूशलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव के बढ़ जाने के बीच हो रही है।
यरूशलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के एकतरफा फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में चुनौती दी गई थी। वहां भारत समेत 128 देशों ने इस कदम को अमान्य ठहराए जाने के पक्ष में मतदान किया था।
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ट्रंप के यरूशलम को इज़रायल की राजधानी घोषित करने के फैसले पर फिलिस्तीनियों ने नाराजगी जाहिर की थी। इसको लेकर पश्चिम एशिया में प्रदर्शन हुआ था और इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि इससे क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा हो सकती है।
इज़रायल की पिछले साल अपनी पहली यात्रा के दौरान मोदी रामल्ला नहीं गए थे। उनकी पहली इज़रायल यात्रा के बाद विश्लेषक भारत-फिलिस्तीन संबंधों के भविष्य को लेकर सवाल उठाने लगे थे।
इस बार मोदी इज़रायल नहीं जा रहे हैं। इसके जरिये उन्होंने साफ संदेश दिया कि भारत इज़रायल और फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग रख रहा है।
भारत और फिलिस्तीन के बीच संबंधों को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन से सम्मानित किया।
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ग्रैंड कॉलर विदेशी गणमान्य लोगों को दिया जाने वाला फिलिस्तीन का सर्वोच्च सम्मान है। यह सम्मान राजाओं, राज्य/सरकार प्रमुखों और उनके समान रैंक के अन्य लोगों को दिया जाता है।
सम्मानित किये जाने पर मोदी ने कहा कि उन्हें सम्मानित किया जाना भारत के लिये गौरव का क्षण है। यह भारत और फिलिस्तीन के बीच मैत्री को भी दर्शाता है। इससे पहले द्विपक्षीय वार्ता से पूर्व दोनों नेता गले मिले और दोनों देशों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े रहे। उन्हें सलामी गारद पेश किया गया।
कैथोलिक चर्च के आर्चबिशप पॉलोस मारकुज्जो और अल अक्सा मस्जिद के धार्मिक नेता मोदी का अभिभादन करने के लिये मुकाता पहुंचे।
मोदी जॉर्डन सेना के हेलीकॉप्टर पर सवार होकर अम्मान से सीधे रामल्ला पहुंचे जहां फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की सुरक्षा में इज़रायली वायु सेना के हेलिकॉप्टर तैनात थे।
मोदी तीन देशों की यात्रा पर हैं।
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HIGHLIGHTS
- दोनों पक्षों ने पांच करोड़ डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये
- तीन करोड़ डॉलर की लागत से एक सुपर स्पेशिएल्टी अस्पताल की स्थापना और 50 लाख डॉलर की लागत से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये एक केंद्र का निर्माण करना शामिल है
- शिक्षा क्षेत्र में 50 लाख डॉलर के तीन समझौते और रामल्ला में नेशनल प्रिंटिंग प्रेस के लिये उपकरण और मशीन की खरीद के लिये भी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए
Source : News Nation Bureau