हाईस्पीड ट्रेन यानि बुलेट ट्रेन के प्रॉजेक्ट्स में भारत भले ही जापान को साझेदार बना रहा है, लेकिन चीन ने कहा है कि उसे इस क्षेत्र में बाहर रखने से भारत का नुकसान होगा।
चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सलाह दी है कि भारत को संरक्षणवादी नीतियां नहीं अपनानी चाहिए। उसने कहा है कि भारत को इस दिशा में संयम से फैसला लेना चाहिये। साथ ही कहा है कि भारत को चीन इस क्षेत्र में सुझाव और सहायता दोनों दे सकता है।
अखबार में कहा गया है, 'भारत चीन के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए इस प्रोजेक्ट में जापान का साझीदार बनाया है। जो संभवत: 2018 में शुरू होगा।'
अखबार ने कहा है, 'चीन को प्रजोक्ट से दूर रखना भारत के हित में होगा ऐसा नहीं लगता है। असल में चीन को भारत की जितनी जरूरत है, उससे कहीं अधिक भारत को चीन की जरूरत है। खासकर स्टील रेल मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेन टेक्नॉलजी के मामले में चीन भारत की मदद कर सकता है।'
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में जापान भारत को सहायता दे रहा है। इस प्रोजेक्ट के 2023 तक तैयार होने की संभावना है। इससे दोनों शहरो ंके बीच की यात्रा में समय कम हो जाएगा।
इस परियोजना में 97, 636 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है। जापान पूरी लागत का 81 प्रतिशत फंडिंग कम ब्याज दर पर भारत को उपलब्ध करा रहा है।
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अखबार ने कहा है, 'सीपीईसी और सिल्क रोड से ग्लोबल ट्रेड में बड़ा बदलाव देखा जाएगा। इससे जुड़े देशों की आर्थिक प्रगति के साथ ही चीन को भी फायदा हुआ है।'
इसमें भारत को सलाह दी गई है कि इस संबंध में एक उदार रुख अपनाते हुए भारतीय रेलवे में सुधार या फिर हाई स्पीड ट्रेन के क्षेत्र में चीन से सहयोग लेना चाहिये।
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संपादकीय के मुताबिक, 'दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क कहे जाने वाले भारतीय रेलवे को खासतौर पर सप्लाइ की समस्या से जूझना पड़ रहा है। ..... भारत के रेलवे के इंजीनिय़र चीन में भी ट्रेनिंग ले रहे हैं ऐसे में चीन बारत को इस क्षेत्र में सहायता दे सकता है।
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Source : News Nation Bureau