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चीन के साथ विवाद के बीच लद्दाख से लिंक होने वाली ये सड़क बना रहा भारत

एक तरफ जहां सीमा पर भारत और चीन का विवाद री है तो वहीं दूसरी तरफ हिमाचल के दारचा को लद्दाख से जोड़ने वाली सड़क पर काम कर रहा है.

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Aditi Sharma
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चीन के साथ विवाद के बीच लद्दाख से लिंक होने वाली सड़क बना रहा भारत( Photo Credit : प्रतिकात्मक तस्वीर)

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एक तरफ जहां सीमा पर भारत और चीन का विवाद री है तो वहीं दूसरी तरफ हिमाचल के दारचा को लद्दाख से जोड़ने वाली सड़क पर काम कर रहा है. ये सड़क कई लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है. बताया जा रहा है कि इसका इस्तेमाल ऊंचाई वाले बर्फीले दर्रों को आसानी से पार करने के लिए किया जा सकेगा. इसके अलावा ये सड़क सैनिकों की आवाजाही के लिए भी काफी महत्वपूर्ण साबित होगी.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 290 किलोमीटर लंबी ये लद्दाख के लिए तीसरी सड़क लिंक होगी. इसके पहले मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह की सड़क लद्दाख के लिए लिंक है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस सड़क पर काम साल 2022 तक पूरा होने की संभावना है. बता दें, इस रणनीतिक सड़क पर काम ऐसे समय में शुरू हुआ है जब भारत-चीन के बीच विवाद जारी है.

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बता दें, भारत और चीन के सीमा विवाद (Border Dispute) को सुलझाने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख के फिंगर इलाके में बराबर दूरी पर पीछे हटने के चीनी सुझाव को नकार दिया है. दोनों देशों के बीच हुए कूटनीतिक बातचीत के बाद, दोनों देश ने सीमारेखा के मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य-स्तर की और बातचीत आयोजित करने पर विचार विमर्श कर रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले तीन महीने से भी ज्यादा समय से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जारी है. इसी विवाद के निपटारे के लिए ऐसा किया जा रहा है.

इस दौरान, भारत के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने भी अपने क्षेत्रीय कमांडरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर किसी भी घटना या कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार होने के लिए कहा है. बल्कि भारतीय पक्ष तो सीमा पर लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी कर रहा है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के मुताबिक बताया कि, चीनी पक्ष (Chinese Side) ने सुझाव दिया था कि भारत और चीन दोनों को फिंगर-4 क्षेत्र (Finger-4 area) से समान दूरी पर वापस हटना चाहिए. यह सुझाव भारतीय पक्ष ने स्वीकार नहीं किया.

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फिलहाल, चीनी पैगोंग त्सो झील के पास फिंगर 5 के आसपास हैं और उन्होंने फिंगर 5 से फिंगर 8 तक पांच किलोमीटर से अधिक की दूरी पर बड़ी संख्या में सैनिकों और उपकरणों को तैनात किया हुआ है जिससे आगे अप्रैल-मई से पहले से चीनी बेस मौजूद हैं. भारतीय पक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीनी सेना को फिंगर क्षेत्र से पूरी तरह से पीछे हटना चाहिए और अपने वास्तविक स्थान (पहले के स्थान) पर वापस जाना चाहिए.

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