Advertisment

श्रीलंका को भारत भी नहीं बचा सका ड्रैगन की Debt Trap Diplomacy से

चालू खाता घाटे में वृद्धि और निर्यात में भारी गिरावट ने 2019 में एक ऐतिहासिक आर्थिक संकट को जन्म दिया.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
China Sri Lanka

चीन की कर्ज जाल कूटनीति का नया शिकार बना श्रीलंका.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

एक विदेशी थिंक टैंक का मानना है कि चीन (China) ने श्रीलंका पर रणनीतिक बढ़त बनाने के लिए अपनी कुटिल 'डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी' का इस्तेमाल किया. नतीजा यह रहा कि श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickramasinghe) के इस्तीफा देने के बाद देश का नियंत्रण संभालने के लिए एक सर्वदलीय कैबिनेट का मार्ग प्रशस्त हो गया है. थिंक टैंक रेड लैंटर्न एनालिटिका के मुताबिक चीन ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था (Economy) को बंधक बनाने के लिए अपनी कुटिल 'ऋण जाल कूटनीति' का प्रयोग किय़ा. गौरतलब है कि हंबनटोटा और कोलंबो (Colombo) के बंदरगाह शहरों को 100 वर्षों के लिए चीन को पट्टे पर दिया गया है. यही नहीं, चीन अब श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार है. इस कारण खराब शासन, पारदर्शिता की कमी, चीनी ऋण जाल और भ्रष्टाचार के कारण हुई आर्थिक आपदा के कारण श्रीलंका एक देश के रूप में अलग-थलग पड़ गया है।

जीडीपी से ऋण अनुपात कहीं ज्यादा
श्रीलंका का जीडीपी से ऋण अनुपात 2010 से लगातार बढ़ रहा है. उसी साल से इस द्वीपीय राष्ट्र की वित्तीय गिरावट शुरू हुई. चालू खाता घाटे में वृद्धि और निर्यात में भारी गिरावट ने 2019 में एक ऐतिहासिक आर्थिक संकट को जन्म दिया. हालांकि जब चीन ने श्रीलंका के कर्ज के बोझ को बढ़ाने के लिए स्थिति का फायदा उठाया, तो भारत ने वित्तीय पैकेजों की पेशकश करके मदद की, जिसमें गैसोलीन आयात के लिए 50 अरब डॉलर की क्रेडिट सुविधा और भारत से महत्वपूर्ण उत्पादों के आयात के लिए 1 अरब डॉलर की क्रेडिट सुविधा शामिल थी. इसके अलावा भारत ने मुद्रा अदला-बदली, ऋण आस्थगन और अन्य क्रेडिट लाइनों के माध्यम से 2.4 अरब डॉलर भेजे हैं. हालांकि यह श्रीलंका को बचाने में असमर्थ रहे, जो पूरी तरह से चीनी कर्ज से जकड़ी हुई थी.

यह भी पढ़ेंः  शिंजो आबे की नारा में नाकाफी सुरक्षा तो नहीं बनी हत्या का कारण

श्रीलंका को चीन की आर्थिक मदद भारत के खिलाफ थी
थिंक टैंक ने यह भी कहा कि श्रीलंका को चीन की आर्थिक मदद ज्यादातर भारत के खिलाफ राजनीतिक और सुरक्षा लाभ उठाने के साथ हिंद महासागर रिम के साथ अपने विस्तारवादी लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ने की योजना थी. दुनिया के देशों को कोलंबो के पतन से सीखना चाहिए और चीन के कर्ज के जाल में फंसने से बचना चाहिए. इसके अलावा, अन्य प्रमुख शक्तियों को चीन के बीआरआई के विस्तार को रोकने के लिए अविकसित देशों के लिए विकास योजनाएं और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं तैयार करनी चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • श्रीलंका का जीडीपी से ऋण अनुपात 2010 से लगातार बढ़ रहा था
  • भारत की मदद श्रीलंका को चीन के कर्ज मकड़जाल से न बचा सकी
रानिल विक्रमसिंघे चीन भारत श्रीलंका कर्ज जाल INDIA कोलंबो अर्थववस्था Sri Lanka economy china colombo Ranil Wickramasinghe Debt Trap
Advertisment
Advertisment
Advertisment