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द्विपक्षीय संबंधों में खराब दौर से गुजर रहे हैं भारत-चीन : एस जयशंकर

बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष 14वें दौर की सैन्य वार्ता जल्द कराने पर सहमत हुए.

Updated on: 19 Nov 2021, 12:53 PM

highlights

  • बीजिंग ने समझौते के कुछ बिंदुओं का उल्लंघन किया
  • बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष 14वें दौर की सैन्य वार्ता

सिंगापुर:

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन अपने संबंधों को लेकर विशेषतौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसी गतिविधियां कीं जिनके पीछे उसके पास अब तक विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व को इस बात का जवाब देना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों को वे किस ओर ले जाना चाहते हैं. यहां ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमिक फोरम में ‘वृहद सत्ता प्रतिस्पर्धा: उभरती हुई विश्व व्यवस्था’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि चीन को इस बारे में कोई संदेह है कि हमारे संबंधों में हम किस मुकाम पर खड़े हैं और क्या गड़बड़ है. मेरे समकक्ष वांग यी के साथ मेरी कई बार मुलाकात हुई हैं. जैसा कि आपने भी यह महसूस किया होगा कि मैं बिलकुल स्पष्ट बात करता हूं, अत: समझा जा सकता है कि स्पष्टवादिता की कोई कमी नहीं है. यदि वे इसे सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा भरोसा है कि उन्होंने सुना होगा.’

अभी तक भरोसे का कोई कारण नहीं
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम, हमारे संबंधों में विशेषतौर पर खराब दौर से गुजर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने समझौतों का उल्लंघन करते हुए कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिनके बारे में उनके पास अब तक ऐसा स्पष्टीकरण नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सके. यह इस बारे में संकेत देता है कि यह सोचा जाना चाहिए कि वे हमारे संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं लेकिन इसका जवाब उन्हें देना है.’

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गुरुवार को होनी है 14वें दौर की वार्ता
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध के हालात बीते वर्ष पांच मई को बने थे. पैंगांग झील से लगते इलाकों में दोनों के बीच हिंसक संघर्ष भी हुआ था और दोनों देशों ने अपने हजारों सैनिक और हथियार वहां तैनात किए थे. पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद तनाव और भी बढ़ गया था. हालांकि कई दौर की सैन्य और राजनयिक वार्ता के बाद दोनों पक्ष फरवरी में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से तथा अगस्त में गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए राजी हो गए. सैन्य वार्ता पिछली बार 10 अक्टूबर को हुई थी जो बेनतीजा रही. इसी बीच बृहस्पतिवार को दोनों पक्ष 14वें दौर की सैन्य वार्ता जल्द कराने पर सहमत हुए.