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UNSC: यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर रूस के प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से बनाई दूरी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को रूस ने 15 सदस्य देशों के सामने अपने मसौदा प्रस्ताव पर वोट देने का आह्वान किया था.

Updated on: 24 Mar 2022, 07:54 AM

highlights

  • भारत उन 13 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया
  • इस प्रस्ताव की व्यापक रूप से आलोचना की गई
  • इसमें यूक्रेन पर आक्रमण के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था

 

नई दिल्ली:

भारत ने बुधवार को यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस के प्रस्ताव के मसौदे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से परहेज किया. रूस ने अपने मानवीय प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान का आह्वान किया था. इस प्रस्ताव की व्यापक रूप से आलोचना की गई क्योंकि इसमें यूक्रेन पर आक्रमण के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था.गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को रूस ने 15 सदस्य देशों के सामने अपने मसौदा प्रस्ताव पर वोट देने का आह्वान किया था. इसमें मांग थी कि मानवीय संकट को देखते हुए महिलाओं और बच्चों समेत कमजोर परिस्थितियों में रह रहे नागरिकों को पूरी तरह से संरक्षित किया जाए.

प्रस्ताव में नागरिकों की सुरक्षित निकासी और बातचीत के जरिए संघर्ष विराम का आह्वान किया गया. रूस और चीन ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. वहीं भारत उन 13 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया. 

इससे पहले भी भारत ने दो मौकों पर यूएनएससी में यूक्रेन के आक्रमण पर रूस के खिलाफ और एक बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में इस तरह के प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया था. भारत ने विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी बातचीत की. 

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर दो अन्य प्रस्ताव भी लिए. तीनों प्रस्तावों को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के समक्ष रखा गया. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन पर अपना 11वां आपातकालीन विशेष सत्र फिर से शुरू किया.

यूएनजीए ने 28 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता पर दुर्लभ आपातकालीन सत्र बुलाया था. भारत के साथ 34 अन्य देश प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे थे. इसे 141 मतों के पक्ष में अपनाया गया और पांच सदस्य राज्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया.