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UNGA में पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद पर चीन की पाक परस्ती पर साधा निशाना

पीएम नरेंद्र मोदी का साफ कहना था कि इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए समग्र दुनिया को न सिर्फ एकमत होना होगा, बल्कि एकजूट भी.

Updated on: 28 Sep 2019, 06:12 AM

highlights

  • पाकिस्तान को आंख बंद कर समर्थन देने वाले चीन को किया आगाह.
  • UNGA में कहा आतंकवाद के खिलाफ सभी एकजुट और एकमत हों.
  • कहां आतंकवाद पर एकजुट लड़ाई ही संयुक्त राष्ट्र का मकसद.

न्यूयॉर्क:

जैसा अपेक्षित था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में आतंकवाद के मसले पर गंभीरता दर्शाते हुए बगैर नाम लिए पाकिस्तान और उसे आंख बंद कर समर्थन देने वाले चीन पर भी निशाना साधा. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंक के खिलाफ भारत की आवाज में दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी. पीएम नरेंद्र मोदी का साफ कहना था कि इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए समग्र दुनिया को न सिर्फ एकमत होना होगा, बल्कि एकजूट भी.

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आतंकवाद एक देश की नहीं, पूरे विश्व की समस्या
भारतीय कूटनीतिक हलकों में पहले से तय माना जा रहा था कि अपने संबोधन में प्रधानमंत्री इमरान खान वैश्विक मसलों पर ही बोलेंगे, कश्मीर पर नहीं. हुआ भी यही और पीएम मोदी ने कश्मीर का बगैर जिक्र किए आतंकवाद के नाम पर दुनिया को आगाह कर दिया कि किस तरह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद समग्र विश्व के लिए गंभीर खतरा बन चुका है. वह साथ ही यह संकेत देने से भी नहीं चूके कि हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकी घोषित करने के रास्ते में चीन ही कई बार बाधा बना. इस आधार पर उन्होंने कहा कि यह किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा है, जिससे सभी को निपटने की जरूरत है.

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आतंकवाद पर सभी एकजुट और एकमत हों
उन्होंने दो टूक लहजे में कहा कि आतंकवाद के मसले पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है जिन पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ. इस तरह उन्होंने चीन को आंख बंद कर पाकिस्तान के समर्थन के लिए लताड़ा. उन्होंने कहा आतंकवाद के खिलाफ समग्र विश्व का एकमत और एकजुट होना अनिवार्य है. इस तरह ही संयुक्त राष्ट्र को नई शक्ति और दिशा दी जा सकेगी. उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांतों में न सिर्फ विश्वास करता है, बल्कि उन पर अमल भी करता है. ऐसे में आतंकवाद पर चिंता सिर्फ भारत की नहीं बल्कि विश्व के सभी देशों की होनी चाहिए. यही संयुक्त राष्ट्र का मकसद भी है कि वैश्विक चुनौतियों को एकसाथ मिलकर निपटा जाए. आतंकवाद भी ऐसी ही एक गंभीर चुनौती और खतरा है, जिससे कोई देश अछूता नहीं है.