रूस के मामले में भारत और पाक ने UN में मतदान से बनाई दूरी, चीन ने दिया साथ 

भारत और पाकिस्तान उन 12 देशों में शामिल हो चुके हैं, जिन्होंने यूक्रेन में रूसी आक्रमण से पैदा हुए संकट को संबोधित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक प्रस्ताव  पर मतदान से परहेज किया है.

भारत और पाकिस्तान उन 12 देशों में शामिल हो चुके हैं, जिन्होंने यूक्रेन में रूसी आक्रमण से पैदा हुए संकट को संबोधित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक प्रस्ताव  पर मतदान से परहेज किया है.

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Mohit Saxena
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United Nations Human Rights Council ( Photo Credit : ani)

ऐसा काफी कम देखने को मिला है जब भारत और पाकिस्तान किसी मुद्दे  को लेकर एक साथ सहमत हों. मगर यूक्रेन मुद्दे पर पाकिस्तान ने भारत जैसा रुख अपनाया है. दरअसल भारत और पाकिस्तान उन 12 देशों में शामिल हो चुके हैं, जिन्होंने यूक्रेन में रूसी आक्रमण से पैदा हुए संकट को संबोधित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक प्रस्ताव  पर मतदान से परहेज किया है. 47 सदस्यीय निकाय में इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले केवल देश यानी चीन और इरिट्रिया हैं. 

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गौरतलब है कि यूक्रेन पर हमले को लेकर यूएन में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों पर भारत ने पहले भी मतदान करने से दूरी बनाई थी. इसी  क्रम में भारत ने दोबारा से मतदान से पहले हुई चर्चाओं में भाग लिया और यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण का आह्वान किया. "मानव अधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता" को दोहराया.

यूएन के इस प्रस्ताव को लेकर यूक्रेन के कीव, खारकीव, चेर्निहाइव और सुमी शहरों में रूस के मानवाधिकारों के उल्लंघनों की जांच को लेकर स्थापित जांच आयोग के लिए एक अतिरिक्त जनादेश की मांग की गई थी. हालांकि प्रस्ताव के पक्ष में 33 वोट पड़े, जिससे इसे पारित कर दिया गया. प्रस्ताव में रूस से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को उन लोगों तक निर्बाध पहुंच  प्रदान करने का भी आग्रह किया, जिन्हें युद्ध प्रभावित क्षेत्रों से दूसरी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया है. मास्को का दावा है कि इन्होंने अपनी  मर्जी से रूस में प्रवेश किया.

भारत ने मार्च में जांच आयोग की स्थापना के प्रस्ताव पर परिषद में मतदान से दूरी बनाई थी. हालांकि, भारत ने बुका में नागरिकों की हत्याओं को लेकर निंदा की है. इसकी स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन भी किया है. गौरतलब है कि चीन ने भी उस मौके पर मतदान से परहेज किया था, लेकिन इस बार उसने यह कहते हुए प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया कि यह न तो संतुलित है और न ही उद्देश्यपूर्ण है और यह केवल तनाव बढ़ाने वाला प्रस्ताव है.

Source : News Nation Bureau

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