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भारतीय सैनिकों ने मार गिराए थे 45 चीनी सैनिक, रूसी एजेंसी का खुलासा

अमेरिका ने भी 35 के आसपास चीनी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी. अब रूस की समाचार एजेंसी तास ने दावा किया है कि गलवान के हिंसक संघर्ष में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे.

Updated on: 11 Feb 2021, 03:02 PM

highlights

  • राजनाथ सिंह ने आज ही संसद में दिया चीन पर बयान
  • रूसी एजेंसी ने बताया गलवान में मारे गए 45 चीनी सैनिक
  • अमेरिका भी पहले बता चुका है भारत से अधिक मारे गए PLA सैनिक

नई दिल्ली-मास्को:

विगत साल मई से शुरू हुए चीन-भारत सीमा विवाद और तनाव के बीच हुए गलवान (Galwan Valley) संघर्ष में भारतीय सैनिक तो शहीद हुए ही, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने भी बड़ी संख्या में जान गंवाई थी. भारतीय सेना के दावे के अनुरूप भारत की तुलना में कम से कम दोगुनी संख्या में चीनी सैनिक मारे गए, तो अमेरिका ने भी 35 के आसपास चीनी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी. अब रूस की समाचार एजेंसी तास ने दावा किया है कि गलवान के हिंसक संघर्ष में 45 चीनी सैनिक मारे गए थे. अलग-अलग दावों के बीच गौरतलब है कि चीन के शी जिनपिंग शासन ने अभी तक हताहत सैनिकों की संख्या को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. यह अलग बात है कि चीनी मीडिया भारत को लगातार आंखे जरूर दिखाता आया है. हालांकि गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने लोकसभा में चीन पर बोलते हुए साफ कहा कि एक इंच भारतीय जमीन भी चीन के कब्जे में नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि चीन परस्पर बातचीत के बाद एलएसी से पीछे हटने को राजी हो गया है. 

रूसी समाचार एजेंसी का दावा मारे गए 45 सैनिक
रूस की सामाचार एजेंसी ने दावा किया है कि 15 जून को गलवान घाटी झड़प में कम से कम 45 चीनी सैनिक भी मारे गए थे. हालांकि चीन अभी तक आधिकारिक तौर पर अपने सैनिकों के मरने की बात को नहीं कबूला है. इस घटना के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है. यहां तक कि कूटनीतिक और सैन्य स्तर की कई चरणों की वार्ता के बावजूद अभी तक चीनी सेना पहले की स्थिति के अनुकूल पीछे नहीं हटी है. इस संदर्भ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा भी कुछ स्थानों पर गतिरोध है, लेकिन आगे होने वाली बातचीत में उन्हें भी सुलझा लिया जाएगा. राजनाथ सिंह ने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर भी चीन का कब्जा नहीं है. 

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राजनाथ सिंह ने संसद में दिया बयान
आपको बता दें कि रूसी एजेंसी ने ही भारतीय और चीनी सैनिकों के पैंगोंग त्सो झील के पास से सैनिकों की वापसी की बात कही थी. दोनों देश के बीच हिए समझौते के मुताबिक सैनिक धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं. बाद में सैनिकों की वापसी की खबर की पुष्टि चीनी रक्षा मंत्रालय ने भी की थी. चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी. राजनाथ सिंह ने भी आज कहा कि सितंबर 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस डिसइंगेजमेंट का परस्पर स्वीकार्य करने का तरीका निकाला जाए. अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है. भारत का यह मत है कि 2020 की फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं.