पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने भारत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की निंदा करते हुए बुधवार को आगाह किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा. संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में रविवार से हो रही हिंसा में कम से कम 20 लोग मारे गए हैं.
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पीएम इमरान खान ने कहा कि मैं अपने लोगों को आगाह करना चाहता हूं कि जो भी हमारे गैर मुस्लिम नागरिकों या उनके धर्मस्थलों को निशाना बनाएगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा. हमारे अल्पसंख्यक इस देश के बराबर के नागरिक हैं. खान ने दिल्ली में हुई हिंसा की निन्दा की और कहा कि विश्व समुदाय को अब कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट किया कि अब भारत में 20 करोड़ मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. विश्व समुदाय को अब कार्रवाई करनी चाहिए.
इमरान खान ने कहा कि जब भी घृणा आधारित नस्लवादी विचारधारा हावी होती है तो खूनखराबा होता है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पिछले साल के अपने संबोधन का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के भारत के फैसले की अनदेखी न करने को कहा था.
UNHRC में भारत बोला- कश्मीर हमारा था...है और हमेशा रहेगा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् (UNHRC) की बुधवार को जिनेवा हुई बैठक में एक शीर्ष भारतीय राजनयिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था... है... और हमेशा रहेगा. इससे एक दिन पहले पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने की मांग की थी. स्विट्जरलैंड में यहां 24 फरवरी से 20 मार्च तक आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बताया.
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उन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) का जिक्र करते हुए उन देशों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की अपील की जो आतंकवादियों (Terrorists) को निर्देश देते हैं, उन्हें नियंत्रित करते हैं, उनका वित्त पोषण करते हैं तथा उन्हें पनाह देते हैं. पाकिस्तान पर उसके पड़ोसी आतंकवादी समूहों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं. स्वरूप की यह टिप्पणी पाकिस्तान द्वारा एक दिन पहले की गई टिप्पणी के जवाब में आई है.
मंगलवार को पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने आरोप लगाया कि भारत कश्मीरी लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है और उन्होंने भारत द्वारा पिछले साल पांच अगस्त को उठाए सभी कदमों को तत्काल वापस लेने की मांग की. गौरतलब है कि भारत ने 5च अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया.