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पाकिस्तान (Pakistan) ने आतंकवाद की अमेरिकी रिपोर्ट पर (US report on terrorism) जताई निराशा, कहा- इसे किया गया नजरअंदाज

आतंकवाद के खिलाफ अपर्याप्त प्रयासों पर पाकिस्तान को आड़े हाथ लेने वाली अमेरिकी रिपोर्ट पर पाकिस्तान ने निराशा जताई है.

Updated on: 06 Nov 2019, 06:39 PM

नई दिल्ली:

आतंकवाद के खिलाफ अपर्याप्त प्रयासों पर पाकिस्तान को आड़े हाथ लेने वाली अमेरिकी रिपोर्ट पर पाकिस्तान ने निराशा जताई है और कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ दी गई उसकी कुर्बानियों को रिपोर्ट में नजरअंदाज किया गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में अमेरिकी रिपोर्ट पर निराशा जताते हुए कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष में पाकिस्तान के योगदान के कारण ही क्षेत्र से आतंकी संगठन अल कायदा का खात्मा हुआ है और इस योगदान ने दुनिया को एक सुरक्षित जगह बनाने में मदद दी है. इसके खिलाफ की जाने वाली कोई भी बात अवांछित है और द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के पक्ष में नहीं है.

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बयान में कहा गया है, "(अमेरिकी) रिपोर्ट में जमीनी सच्चाइयों को और आतंकवाद के खिलाफ बीते दो दशकों में पाकिस्तान की बेशुमार कुर्बानियों व योगदान को नजरअंदाज किया गया है." बयान में इस बात की भी जिक्र है कि 'पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत के लिए सभी प्रयास किए.'

बयान में कहा गया है कि आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान ने बड़े पैमाने पर कानूनी व प्रशासनिक कदम उठाए हैं. आतंकी गिरोहों व व्यक्तियों की संपत्तियां जब्त की गई हैं और इनके लिए धन जमा करने के रास्ते बंद किए गए हैं। पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स व अपनी राष्ट्रीय कार्ययोजना के तहत ठोस कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है.

बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि पाकिस्तान अपने यहां से संचालित होने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ पर्याप्त रूप से कार्रवाई नहीं कर रहा है, जो भारत को निशाना बनाते हैं. अमेरिका ने आगाह किया है कि वे आतंकी समूह अपनी आक्रामक क्षमता बनाए रखे हुए हैं. 2018 के लिए आतंकवाद पर देश की वार्षिक रिपोर्ट शुक्रवार को वाशिंगटन में जारी की गई, जिसमें कहा गया, "पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे समूहों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की, जिनका पाकिस्तान में संचालन, प्रशिक्षण, आयोजन और फंड जुटाने का काम जारी है."

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रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि "2008 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान स्थित लश्कर और जेईएम ने भारतीय और अफगान ठिकानों पर हमला करने की क्षमता और इरादा बनाए रखा है." रिर्पोट में कहा गया है कि भारत में हमले होना जारी रहा, जिनमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन और कबायली और नक्सली विद्रोही शामिल थे.

रिपोर्ट में पिछले साल भारत में हुए पांच आतंकवादी हमलों का जिक्र है, जिनमें छत्तीसगढ़ में पुलिस वाहन पर नक्सली हमला और आंध्र प्रदेश में एक और हमला, जिसमें तेलुगू देशम पार्टी के विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और तीन लोगों की मौत और सिख चरमपंथियों द्वारा निरंकारियों पर ग्रेनेड हमले में 20 को घायल करने की घटना का भी जिक्र है.

इसमें कश्मीर में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या और संजवान में सेना के शिविर पर जेईएम हमले का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें छह सैनिकों और एक नागरिक की मौत हो गई. रिपोर्ट ने सोशल मीडिया का उपयोग करके आतंकवादी संगठनों की कट्टरता और भर्ती करने के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सरकारी अधिकारी इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर चिंतित रहते हैं, जिसमें सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग एप, आतंकवादी भर्ती और कट्टरता और अंतर-धार्मिक तनावों की आशंका जैसे मामले हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, राजीव गौबा, जो उस समय गृह सचिव थे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ऑनलाइन आतंकवादी भर्ती और कट्टरता को रोकने के कदमों की समीक्षा करने के लिए पिछले साल वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिले थे. इसमें कहा गया है कि दक्षिणी भारत में ऑनलाइन कट्टरवादी आतंकी बनाने के मामले पूरे साल दर्ज किए गए, जिनमें कुछ भर्तियों की रिपोर्ट भी शामिल है. कुछ को अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के गढ़ में भर्ती के लिए ले जाया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने आईएस से प्रेरित एक आतंकवादी सेल के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया, जो 2018 के अंत में आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहा था.