Imran Khan का फिर उमड़ा भारत प्रेम, नए सिरे से सराही भारतीय विदेश नीति
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत ने रूस से सस्ते दाम में तेल खरीदा, जबकि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक गठबंधन है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ अमेरिका हमसे नाराज हो गया.
highlights
- भारतीय विदेश नीति को फिर इमरान ने सराहा
- अमेरिका और रूस दोनों से संबंधों को दी नजीर
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान (Pakistan) में सत्ता गंवाने के बाद पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान (Imran Khan) का भारत के प्रति प्रेम बार-बार उमड़ रहा है. हालांकि सत्ता के जाने से पहले से नियाजी खान कई मौकों पर भारत खासकर उसकी विदेश नीति की तारीफ करते नजर आए थे. अब एक बार फिर वह भारत की विदेश नीति की तारीफ करते नजर आए. सत्ता गंवाने के बाद युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहे इमरान खान ने अप्रवासी पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए भारतीय विदेश नीति और कूटनीति के खुले दिल से प्रशंसा की. खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के दौरान अमेरिका और रूस से भारत के संबंधों को लेकर उन्होंने यह तारीफ की.
अमेरिका को फिर किया खड़ा कठघरे में
शनिवार को विदेशों में रह रहे पाकिस्तानियों को पूर्व पीएम इमरान खान ने संबोधित किया. संबोधन के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चीन और रूस से अच्छे संबंधों की तलबगार थी. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका पाकिस्तान में एक स्वतंत्र सरकार नहीं देख सकता है. पूर्व पीएम ने कहा कि हमारी सरकार अमेरिकी विरोधी सरकार नहीं थी, बल्कि एक स्वतंत्र सरकार थी. मैं कभी भी अमेरिका विरोधी नहीं था. कोई भी देश किसी के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ मेरे अच्छे संबंध थे. अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद से तो पाकिस्तान ने एक तरह से उसके सामने घुटने ही टेक दिए थे. हमारी सरकार ने अलग राह तलाश करनी चाही थी.
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भारत के अमेरिका-रूस दोनों से संबंध
अमेरिका की आतंक खिलाफ जंग पर उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान को हुआ. उन्होंने कहा कि हम चीन और रूस के साथ अच्छे संबंध चाहते थे. चीन हमारा पड़ोसी देश है और इसके बाद रूस से निमंत्रण आया. इमरान खान ने कहा कि रूस से हमारे हमेशा तनावपूर्ण संबंध थे क्योंकि पाकिस्तान कोल्ड वॉर से रूस के खिलाफ अमेरिका के साथ था. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत ने रूस से सस्ते दाम में तेल खरीदा, जबकि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक गठबंधन है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ अमेरिका हमसे नाराज हो गया. अमेरिका की नाराजगी इससे भी समझी जा सकती है कि अफगानिस्तान में भी अपनी नाकामियों के लिए पाकिस्तान को भी जिम्मेदार ठहराता रहा है.
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