इमरान खान का नया पाकिस्तान महंगाई से त्रस्त, कर्ज पहुंचा 74 हजार करोड़ रुपए
सिर्फ अपने ही कार्यकाल में इमरान खान चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अपने मित्र देशों से लगभग 74 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं.
highlights
- प्रधानमंत्री पदभार संभालने के बाद इमरान सरकार ने लिया 74 हजार करोड़ का कर्ज.
- विदेशी कर्ज बढ़कर छह लाख 28 हजार करोड़ रुपये हो गया है.
- खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण महंगाई दर बढ़कर 12.7 फीसदी पहुंची.
New Delhi:
भले ही पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने पूरा चुनाव 'नया पाकिस्तान' बनाने के नाम पर लड़ा हो. भले ही उनका एक प्रमुख चुनावी मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से और कर्ज नहीं लेने का भी रहा हो, लेकिन यह जरूर सच है कि उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री देश को जबर्दस्त कर्ज जाल में उलझा दिया है. सिर्फ अपने ही कार्यकाल में इमरान खान चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अपने मित्र देशों से लगभग 74 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुके हैं. उन्होंने यह कर्ज विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करने और पुराने ऋण के भुगतान करने के लिए लिया.
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बद् से बद्तर होते गए पाकिस्तान के हालात
यहां यह भी कतई नहीं भूलना चाहिए कि गत वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री बनने वाले इमरान खान ने मुल्क की बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास में ना सिर्फ अपने मित्र देशों के दौरे किए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद की गुहार भी लगाई. पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली में आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, इमरान सरकार ने चीन, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय बैंकों से व्यावसायिक कर्ज लिया. इस तरह के कुल 4.80 अरब डॉलर (करीब 34 हजार करोड़ रुपये) के कर्ज लिए हैं. इसके अलावा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कर्ज भी लिए गए. पाकिस्तान के वित्त मंत्रलय ने इस साल मई में सीनेट को बताया था कि मुल्क पर विदेशी कर्ज बढ़कर 88.20 अरब डॉलर (करीब छह लाख 28 हजार करोड़ रुपये) हो गया है.
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महंगाई दर 12.7 फीसदी पर पहुंची
गौरतलब है कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद संभालते ही देश को कर्ज से निकालने और खर्च बचाने के लिए कई फैसले किए थे. इसमें महंगी, भैंसों की बिक्री के साथ औपचारिक विदेश यात्रा के लिए साधारण श्रेँणी में विमान सफर शामिल था. कह सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के तमाम उपायों को आजमाने के बावजूद उन्हें अपनी कोशिशों में कामयाबी नहीं मिल पाई है. इमरान सरकार को उम्मीद है कि कीमती सरकारी संपत्तियों की बिक्री से विदेशी और पाकिस्तानी निवेशक आकर्षित होंगे और मुल्क की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी. हालांकि पाकिस्तान में महंगाई दर नौ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण महंगाई दर बढ़कर 12.7 फीसदी पहुंच गई है.
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