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या अल्लाह !!! इमरान खान के मंत्री ही दे रहे अहमदी मुसलमानों के सिर कलम करने का फतवा

इमरान खान सरकार के एक मंत्री अली मोहम्मद खान ने अहमदी मुसलमानों को निशाना बनाते हुए सिर कलम करने तक की धमकी दे दी है.

Updated on: 02 May 2020, 01:21 PM

highlights

  • अहमदी मुसलमानों को अल्पसंख्यक काउंसिल में जगह देने पर विवाद.
  • अहमदी मुसलमान मोहम्मद साहब को नहीं मानते आखिरी पैगंबर.
  • मंत्री अली मोहम्मद ने दिया अहमदी मुसलमानों को मारने का फतवा.

इस्लामाबाद:

भारत (India) के मुसलमानों की चिंता में दुबले हुए जा रहे पाकिस्तान (Pakistan) के हुक्मरानों को अपने ही देश में अलग-अलग फिरकों में बंटे मुसलमानों की कतई कोई फिक्र नहीं है. फिक्र करना तो दूर आपसी मतभेद होने पर किसी एक पक्ष की ओर से पार्टी बन कर और खड़े हो जाते हैं. साथ ही ऐसे भड़काऊ बयान जारी करते हैं कि हिंसा का नंगा नाच भी उसके आगे फीका पड़ जाता है. इस बार बहुसंख्यक मुसलमानों के निशाने पर पाकिस्तान के अहमदी मुसलमान (Muslims) आ गए हैं. इमरान खान सरकार के एक मंत्री अली मोहम्मद खान ने अहमदी मुसलमानों को निशाना बनाते हुए सिर कलम करने तक की धमकी दे दी है.

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अहमदी मुस्लिमों को अल्पसंख्यक काउंसिल में प्रतिनिधित्व देने पर बहस
मसला कुछ यूं है कि पाकिस्तान में अहमदी मुस्लिमों को देश के अल्पसंख्यक काउंसिल में प्रतिनिधित्व देने को पर बहस छिड़ी हुई है. कोढ़ में खाज वाली स्थिति यह है कि अहमदी इस बात में विश्वास नहीं रखते हैं कि मोहम्मद ही आखिरी पैगंबर थे. इस बीच खबर आई कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने अहमदी मुसलमानों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक काउंसिल में जगह दे दी है. इसके बाद अहमदी समुदाय के खिलाफ नफरत भरा अभियान शुरू हो गया. सरकार की ओर से इस बात का खंडन किया जानेके बावजूद विवाद थमा नहीं है. यहां तक कि खंडन करने वाले मंत्री महोदय ही अहमदी मुसलमानों के खिलाफ आ खड़े हुए.

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मंत्री ने कहा पैगंबर का मजाक उड़ाने वालों का सिर कलम हो
पाकिस्तान के संसदीय कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने ट्वीट कर इस विवाद को और हवा दे दी. अली मोहम्मद ने ट्वीट किया कि जो लोग पैगंबर मोहम्मद का मजाक उड़ाते हैं उनके लिए सिर्फ सिर कलम करना ही सजा. इससे पहले अली खान ने दावा किया था कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा था कि इमरान खान ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया है कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे छुआ नहीं जाना चाहिए.उन्होंने कहा था कि अहमदी किसी आयोग का हिस्सा तभी हो सकते हैं जब वे पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक खुद को गैर-मुस्लिम करार दें.