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इमरान खान( Photo Credit : फाइल फोटो)
दुनिया के कई मुल्कों में कोरोना ने तबाही मचा रखी है. हर मुल्क इस 'किलर वायरस' को हराने की कोशिश में लगा हुआ है. इसके बावजूद पाकिस्तान नए-नए चाल चल रहा है. पाकिस्तान(pakistan) में लोग कोरोना से परेशान हैं, लेकिन सरकार अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आ रही है. कोरोना की तबाही के बीच वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर से कश्मीर राग अलापा है. इमरान खान ने मोदी सरकार पर कश्मीर की डेमोग्राफी से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया.
इमरान खान ने एक के बाद एक ट्वीट करके कश्मीर (kashmir) को लेकर अपनी नीचता का प्रदर्शन किया है. इमरान खान (imran khan) ने कहा,'हम IOJK की जनसांख्यिकी को बदलने के इस नए भारतीय प्रयास को खारिज करने में कश्मीरियों के साथ खड़े हैं. '
'भारत इंटरनेशनल और UNSC प्रस्ताव का उल्लंघन कर रहा है'
इसके साथ इमरान खान ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में जो किया जा रहा है वो निंदनयी है, क्योंकि कोविद-19 महामारी पर अंतरराष्ट्रीय फोकस का फायदा उठाकर बीजेपी हिंदुत्व वर्चस्ववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है. यूएन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रोकना चाहिए. भारत UNSC प्रस्तावों और इंटरनेशनल कानून का निरतंर उल्लंघन कर रहा है.
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अपने आवाम की परवाह नहीं करने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान ने आगे कहा, 'सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों को दरकिनार कर जम्मू-कश्मीर के डिमॉग्रफी को अवैध तरीके से बदलने की नस्लभेदी हिंदुत्व श्रेष्ठता वाली मोदी सरकार की निरंतर की जा रही कोशिशों की हम कड़ी निंदा करते हैं.'
We strongly condemn the racist Hindutva Supremacist Modi Govt's continuing attempts to illegally alter the demography of IOJK in violation of all international laws & treaties. The new Jammu and Kashmir Reorganization Order 2020 is a clear violation of the 4th Geneva Convention.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) April 2, 2020
'चौथी जिनेवा संधि का उल्लंघन है'
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से भी गैरजिम्मेदाराना बयान सामने आया. विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, 'यह गैर कश्मीरियों को इस क्षेत्र में बसाने के लिए भारत का एक और गैर कानूनी कदम है. इसमें कहा गया, ' यह चौथी जिनेवा संधि समेत अंतरराष्ट्रीय कानूनों का साफ उल्लंघन है.'
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बता दें कि भारत सरकार ने बुधवार को नए अधिवास नियमों को जारी किया, जिसके तहत इसमें उनको भी मूल निवासी का दर्जा मिलेगा जो केंद्र शासित प्रदेश में 15 साल से रह रहा है.
Source : News Nation Bureau