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पाकिस्तान के कराची में रह रहा दाउद इब्राहिम.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के बिंदुवार आरोप पत्र के जवाब में दाखिल पाकिस्तानी हलफनामे में 83 के श्रंखलाबद्ध मुंबई धमाकों (Mumbai Blasts) के षड्यंत्रकर्ता दाउद इब्राहिम का जिक्र तक नहीं है.
पाकिस्तान के कराची में रह रहा दाउद इब्राहिम.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की समिति नंबर 1267 (Al Qaeda Sanctions Committee) ने नवंबर 2003 को माफिया डॉन दाउद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को वैश्विक आतंकवादी (International Terrorist) घोषित कर दिया था. इसके साथ ही वैश्विक आतंकियों की संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी की गई सूची में दाउद का पता भी कराची (Karachi) दिखाते हुए आगाह किया था कि उसके पास 2010 में जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट (Pakistani Passport) है. इसके बावजूद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के बिंदुवार आरोप पत्र के जवाब में दाखिल पाकिस्तानी हलफनामे में 83 के श्रंखलाबद्ध मुंबई धमाकों (Mumbai Blasts) के षड्यंत्रकर्ता दाउद इब्राहिम का जिक्र तक नहीं है. गौरतलब है कि पेरिस (Paris) में एफएटीएफ की बैठक जारी है, जिसमें फैसला किया जाना है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट (Grey List) में ही रहने दिया जाए या फिर उसे राहत दे दी जाए.
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वैश्विक बिरादरी की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तान ने आतंक के वित्त पोषण समेत मनी लांड्रिगं से जुड़े आरोपों का जवाब देती एक विस्तृत रिपोर्ट एफएटीएफ के सुपुर्द की है. इनमें संस्था की ओर से जारी 27 एक्शन प्वाइंट्स के जवाब में पाकिस्तान ने कहा है कि उसने सफलतापूर्वक 14 बिंदुओं पर काम किया है. इसके साथ ही 11 अन्य बिंदुओं पर उसने आंशिक प्रगति की है. ऐसे में इस पूरे जवाब से वाकिफ पाकिस्तान सैन्य प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इस विस्तृत रिपोर्ट में दाउद इब्राहिम का जिक्र तक नहीं किया गया है. यह तब है जब संयुक्त राष्ट्र ने दाउद के संबंध आतंकी संगठन अल कायदा तक से बताए हैं. पाकिस्तान ने ऐसा इसलिए किया है कि ताकि वह वैश्विक बिरादरी की आंखों में धूल झोंक कर चीन की मदद से ग्रे लिस्ट से बाहर आ जाए.
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भारत-अमेरिका उठा चुके दाउद का मुद्दा
यह तब है जब भारत और अमेरिका ने एफएटीएफ की एशिया-प्रशांत बैठक में दाउद इब्राहिम का मुद्दा उठाया था. यह अलग बात है कि इस्लामाबाद प्रतिष्ठान ने अंडर वर्ल्ड डॉन और आतंकियों की अपनी सरजमीं पर होने की सच्चाई से सिरे से इंकार कर दिया था. बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान ने दाउद को अपना नागरिक तक मानने से इंकार कर दिया था. यह तब है जब संयुक्त राष्ट्र दाउद का पाकिस्तानी पासपोर्ट तक जारी कर चुका है. पाकिस्तान का हालिया कदम ही इस बात का पर्याप्त सबूत है कि भारत समेत वैश्विक समुदाय की आपत्तियों को पाकिस्तान गंभीरता से नहीं लेते हुए सिर्फ हाफिज सईद को कथित सजा के बलबूते ध्यान बंटाने की फिराक में है.
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चारों पते कराची के
गौरतलब है कि अल कायदा प्रतिबंध समिति के नाम से जानी जाने वाली संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति ने मार्च 2010 में दाइद इब्राहिम के चार पते दर्ज किए थे. पहला, कराची-पाकिस्तान, व्हाइट हाउस, सऊदी मस्जिद के पास, क्लिफ्टन. दूसरा, 37 नंबर, 30 स्ट्रीट, डिफेंस, हाउसिंग अथॉरिटी कराची पाकिस्तान. तीसरा, कराची के नूराबाद पहाड़ी इलाके में स्थित आलीशान बंगला. चौथा कराची के ही मार्गला रोड स्थित घर का भी जिक्र है. इसके बावजूद पाकिस्तान न सिर्फ दाउद की उपस्थिति को नकारता आया है, बल्कि एफएटीएफ को दी गई सूची में भी दाउद से बचता आया है. यह तब है जब भारत के पास पुख्ता सबूत है कि दाउद इब्राहिम पाकिस्तान सेना और सरकार की सुरक्षा तले कराची में रह रहा है. यही नहीं, उसके पास तीन बुलेट प्रूफ कारें भी हैं, जिनमें वह अक्सर इस्लामाबाद आता-जाता रहता है.
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