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पाकिस्तानी पीएम इमरान खान अपनी ही चालों में फंसे, सेना कभी भी कर सकती है तख्तापलट

इमरान खान के हाथों से कमान निकलती जा रही है. ऐसे में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पाकिस्तान की सेना ने अपनी मोर्चाबंदी तेज कर दी है. जनरल बाजवा का सेवा विस्तार भी इसी की ही एक कड़ी है.

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Nihar Saxena
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पाकिस्तानी पीएम इमरान खान अपनी ही चालों में फंसे, सेना कभी भी कर सकती है तख्तापलट

सांकेतिक चित्र.

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अपने जन्म के पहले से ही भारत को शत्रु मान चुके पाकिस्तान के लिए हालिया वक्त नई परेशानियां लेकर आया है. इसकी एक बड़ी वजह भारत के अखंड हिस्से जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का अड़ियल रवैया है. इस बार मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से खिसियाआ हुआ है. इस मसले पर भारत को वैश्विक मंच पर घेरने की नई-नई तिकड़में आजमाने के बावजूद घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अगर यह कहा जाए कि इमरान खान खुद अपनी इन चालों में फंसते जा रहे हैं, तो गलत नहीं होगा. स्थिति यह आ गई है कि पाकिस्तान में एक बार फिर तख्ता पलट का अंदेशा मंडराने लगा है. इसकी एक बड़ी वजह हाल ही में पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को तीन साल का सेवा विस्तार देना. इससे साबित हो गया है कि देश के नीतिगत निर्णयों की कमान एक बार फिर सैन्य प्रतिष्ठान ने संभाल ली है.

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पाकिस्तान का 72 साल का दागदार इतिहास गवाह
वैसे भी अगर पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 72 साल का इतिहास देखा जाए, तो वहां जब-जब देश पर संकट आया है तब-तब सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आई सरकारों को निर्ममता से कुचलकर देश की कमान अपने हाथों में लेने में कतई संकोच नहीं किया. भले ही देश-दुनिया में पाकिस्तान सेना के इस कदम की कितनी ही आलोचना क्यों नहीं हुई हो. फील्ड मार्शल अयूब खान, याहया खान और जियाउल हक से लेकर परवेज मुशर्रफ तक कुल 35 साल तक पड़ोसी देश पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख राज रहा है. अब एक बार फिर हालिया घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान में यह चर्चा तेज हो गई है कि भले ही पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान हों, लेकिन असली कमान सैन्य प्रमुख जनरल बाजवा के हाथों में ही है.

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इमरान खान का विरोध बढ़ा
वैसे भी पाकिस्तान के अलग राष्ट्र बनने के बाद से वहां के हुक्मरानों ने भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को अपनी राजनीति का ऑक्सीजन ही बनाए रखा है. देश के अंदरूनी हालातों से आवाम का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान के हुक्मरान हमेशा से जम्मु-कश्मीर का इस्तेमाल करते आए हैं. 'नया पाकिस्तान' का नारा देने वाले पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान भी इससे अछूते नहीं रहे. जम्मू-कश्मीर से मोदी सरकार ने धारा 370 क्या हटाई, वे तिलमिला गए. चीन की मदद से मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली. इसके पहले होश खोकर जोश-जोश में लिए गए एकतरफा फैसले अब उन पर ही भारी पड़ने लगे हैं. पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और आवाम इमरान खान को पानी पी-पीकर कोस रही है.

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नहीं साथ दे रहा कोई देश
यहां तक कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों समेत हुक्मरानों ने हर बार की तरह जब इस बार भी परमाणु हथियारों की गीदड़भभकी दी तो भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उसकी हवा निकालने में कतई देर नहीं लगाई. उन्होंने साफ कह दिया कि परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति कोई पत्थर की लकीर नहीं है. काल-खंड-परिस्थितियों के तहत इसमें बदलाव संभव है. पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की इस तरह से हवा निकलते देख प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर वैश्विक समुदाय से जम्मू-कश्मीर मसले पर हस्तक्षेप की गुहार लगाई. परमाणु युद्ध होने की आशंका भी जताई, लेकिन वैश्विक मंचों से उसे शांतिपूर्वक मसले को सुलझाने की सलाह ही मिली.

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जनरल बाजवा संभाल सकते हैं कमान
इस बीच घरेलू मोर्चे पर इमरान खान पर बढ़ती महंगाई से उपजे संकट का हल निकालने का दबाव पहाड़ सरीखा हो चला है. पाकिस्तान की आवाम समेत व्यापारिक संगठन भी इमरान खान को आगाह कर रहे हैं कि भारत के खिलाफ खिसियाहट में उठाए गए जल्दबाजी भरे कदमों से अगर किसी का नुकसान हो रहा है, तो वह पाकिस्तान ही है. आवाम की इस झटपटाहट के बीच सैन्य प्रमुख जनरल बाजवा को तीन साल का सेवा विस्तार और दे दिया गया. कयास लगाए जा रहे हैं कि इमरान खान के हाथों से कमान निकलती जा रही है. ऐसे में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पाकिस्तान की सेना ने अपनी मोर्चाबंदी तेज कर दी है. जनरल बाजवा का सेवा विस्तार भी इसी की ही एक कड़ी है.

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विपक्ष इमरान को कठपुतली पीएम ही मानता है
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के हालिया घटनाक्रम से पहले भी जनरल बाजवा कूटनीतिक मोर्चों पर निर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान पर भारी पड़ते दिखे हैं. भले ही अवसर चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपंग से मुलाकात का हो या फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से, हमेशा ही जनरल बाजवा इमरान खान के आगे या साथ ही देखे गए हैं. यहां यह नहीं भूलना नहीं चाहिए कि पाकिस्तान का विपक्ष इमरान खान पर सेना की मदद से चुनाव जीत कर आने का आरोप लगाता रहा है. विपक्ष समेत आवाम का एक बड़ा हिस्सा इमरान खान को कठपुतली पीएम ही मानता है.

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कभी भी पलट सकता है इमरान का तख्ता
अब जब पाकिस्तान एक बार फिर घरेलू मोर्चे समेत वैश्विक बिरादरी में अलग-थलग पड़ रहा है, तो आशंका तेज हो गई है कि इमरान खान को गद्दी से उतार कर पाकिस्तानी सेना सत्ता की कमान अपने हाथों में ले सकती है. पाकिस्तान सेना आतंकवादी संगठनों खासकर हाफिज सईद पर कार्रवाई से भी खुश नहीं है. ऐसे में परमाण हथियारों से लैस दुनिया की छठी सबसे बड़ी सेना यदि इमरान खान का तख्ता पलट करती है, तो इसमें किसी को कतई कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान पीएम इमरान खान पर कई कारणों से बढ़ रहा है अंदरूनी दबाव.
  • महंगाई झेलने में असमर्थ आवाम पानी पी-पीकर कोस रही इमरान खान को.
  • ऐसे में पाकिस्तान सेना उन्हें गद्दी से उतार अपने हाथों में ले सकती है कमान.
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