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Toshakhana Case: इमरान खान और पत्नी को तोशखाना मामले में मिली 14 साल की कठोर सजा, 1.5 करोड़ का जुर्माना भी लगा

Toshkhana Case: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को तोशखाना मामले में स्पेशल कोर्ट से बड़ा झटका, 14 साल की कठोर सजा और 1.5 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगा

Updated on: 31 Jan 2024, 01:20 PM

New Delhi:

Toshkhana Case: पाकिस्तान से बड़ी खबर सामने आई है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. तोशखाना मामले में अदालत ने इमरान खान और उनकी पत्नी को दोषी करार दिया है. यही नहीं कोर्ट ने इन दोनों ही दंपति को 14 वर्ष की कठोर सजा भी सुनाई है. इसके अलावा इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर 1.57 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. पाकिस्तान की स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए पूर्व पीएम को 10 वर्ष के अयोग्य भी घोषित किया है. 

10 वर्ष तक कोई सार्वजनिक पद पर नहीं रहेंगे
पाकिस्तान की विशेष अदालत की ओर से तोशखाना मामले में कई बड़े फैसले सुनाए गए हैं. इस फैसले के तहत पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. कोर्ट ने इमरान खान और उनकी पत्नी पर 10 वर्ष का बैन भी लगाया है, इसके तहत वह किसी भी सार्वजनिक पद पर इन 10 वर्षों में नहीं रह सकते हैं. 

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24 घंटे में लगातार दूसरा झटका
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लगातार दूसरा झटका सामने आया है. एक दिन पहले यानी मंगलवार को ही इमरान खान और उनके पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद को पाकिस्तान की विशेष अदालत ने सिफर मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं अब बुधवार की सुबह भी स्पेशल कोर्ट की ओऱ से तोशखाना मामले में इमरान खान के लिए बड़े और कड़े फैसले ने उन्हें बड़ा झटका दिया है. 

बता दें कि इमरान खान के खिलाफ ये फैसला रावलपिंडी की अदियाल जेल में कार्यवाही के बाद स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन ने सुनाया है. उन्होंने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के आधार पर यह फैसला सुनाया है. जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास अपराध साबित करने के लिए यह पर्याप्त ठोस सबूत हैं. 

जिस वक्त यह फैसला सुनाया जा रहा था, उस दौरान इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी दोनों ही कोर्ट में मौजूद थे. हालांकि इस दौरान उन दोनों ही CRPC की धारा 342 के तहत बयान प्रश्नावली पर साइन करने से मना कर दिया. इस पर दोनों ने ही यह तर्क दिया कि वकीलों की गैर मौजूदगी में वह इस तरह से साइन नहीं करेंगे.