पाकिस्तान में जमीयत उलेमाए इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के 31 अक्टूबर के आजादी मार्च और इस्लामाबाद में धरने को लेकर सत्तारूढ़ इमरान सरकार की बेचैनी बढ़ती जा रही है. सरकार की कोशिश बातचीत से जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान को राजी करने की है. माना जा रहा है कि सरकार ने तय कर लिया है कि अगर बातचीत विफल रही तो मौलाना और उनकी पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया जाएगा.
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पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त के साथ यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मौलाना को धरना नहीं देने दिया जाएगा. मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि वह इमरान खान के इस्तीफा देने तक धरने पर बैठे रहेंगे, जबकि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी तहरीके इनसाफ का कहना है कि इमरान और उनकी पार्टी को जनता ने चुना है, वह इस्तीफा नहीं देंगे.
सूत्रों ने बताया कि मौलाना को 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया जा सकता है. 25 को जुमा (शुक्रवार) है और सरकार जुमे के दिन या उससे पहले उन्हें गिरफ्तार करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है, क्योंकि इस स्थिति में जेयूआई-एफ मस्जिद और मदरसों का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ कर सकती है. सूत्रों ने बताया कि जेयूआई-एफ की लाठियों से लैस मिलीशिया अंसार उल इस्लाम पर प्रतिबंध लगाने की फाइल प्रधानमंत्री को भिजवा दी गई है.
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माना जा रहा है कि उनकी मुहर लगने के बाद इस संस्था पर 26 अक्टूबर को प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि 31 अक्टूबर से एक या दो दिन पहले से देश के अलग-अलग इलाकों में मोबाइल फोन सेवा निलंबित कर दी जाएगी.