पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच रविवार को आखिरकार समझौता हो गया. इसके तहत आईएमएफ खस्ताहाल अर्थव्यवस्था वाले इस देश को तीन वर्षों में 6 अरब डॉलर यानी लगभग 42 हजार करोड़ 'बेलआउट पैकेज' देगा. 'डॉन न्यूज' ने वित्त, राजस्व एवं आर्थिक मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार डॉ. अब्दुल हफीज शेख के हवाले से कहा कि स्टाफ स्तर पर हुए इस समझौते को अभी वॉशिंगटन में आईएमएफ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की औपचारिक मंजूरी मिलनी बाकी है.
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पाकिस्तान का व्यापार घाटा 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचा
मीडिया से बातचीत के दौरान वित्तीय सलाहकार हफीज शेख ने कहा, 'पाकिस्तान का व्यापार घाटा 20 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और पिछले दो सालों में हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसलिए वार्षिक भुगतान में 12 बिलियन डॉलर का अंतर है और हमारे पास यह भुगतान करने की क्षमता नहीं है.' आईएमएफ़ ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने महंगाई, उच्च कर्ज़ और सुस्त विकास की समस्याओं से निबटने की ज़रूरत को स्वीकार किया है. आईएमएफ़ ने कहा है कि वह देश में कर सुधारों का समर्थन करती है और इससे खर्च में बढ़ोतरी होगी.
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तीन मुद्दों पर अटकी थी बात
आईएमएफ के साथ तीन मुद्दों के कारण बातचीत का निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा था. ऐसे में आईएमएफ द्वारा कार्यक्रम में कुछ नई शर्तें जोड़ने से बातचीत पटरी से उतर गई. आपको बता दे कि पाकिस्तान को आईएमएफ से करीब 8 अरब डॉलर का राहत पैकेज मिलने की उम्मीद थी. आईएमएफ से पाकिस्तान लगभग आठ अरब डॉलर के कोश की मांग कर रहा था.
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कर्ज के जाल में उलझ चुका है पाकिस्तान
पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी कारण विदेशी भुगतान के लिए धन की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान ने राहत पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के प्रतिनिधिमंडल के साथ तकनीकी रूप की चर्चा शुरू की थी. बैंक के प्रतिनिधियों व पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच यह वार्ता करीब एक सप्ताह तक चलेगी. पाकिस्तान भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था के डगमगाने का खतरा है.
HIGHLIGHTS
आईएमएफ पाकिस्तान को तीन वर्षों में 6 अरब डॉलर यानी लगभग 42 हजार करोड़ 'बेलआउट पैकेज' देगा.
पाकिस्तान का व्यापार घाटा 20 बिलियन डॉलर तक पहुंच और विदेशी मुद्रा भंडार में 50 प्रतिशत की गिरावट.
पाकिस्तान भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था के डगमगाने का खतरा है.
Source : News Nation Bureau