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पाकिस्‍तान को IMF ने अगली किश्त देने से किया इनकार, एक अरब डॉलर के लोन को रोका!

पाकिस्तान  (Pakistan) की बदहाली से पूरी दुनिया वाकिफ है। पाक की इमरान सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही है. इस बीच आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक अरब का लोन देने से इनकार कर दिया है.

Updated on: 17 Oct 2021, 04:08 PM

highlights

  • पीएम इमरान खान को चीन या खाड़ी देशों के आगे एक बार फिर से झोली फैलाना पड़ सकता है.
  • आईएमएफ ने  6 अरब डॉलर का एक्‍सटेंडेड फंड फैसिलिटी दिया था.

इस्‍लामाबाद:

पाकिस्तान  (Pakistan) की बदहाली से पूरी दुनिया वाकिफ है। पाक की इमरान सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही है. इस बीच आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक अरब का लोन देने से इनकार कर दिया है. आईएमएफ को मनाने के लिए इमरान सरकार ने बिजली और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की. हालांकि इसके बावजूद आईएमएफ ने उसे कोई राहत नहीं दी है. आईएमएफ से कर्ज न मिलने से अब पीएम इमरान खान को चीन या खाड़ी देशों के आगे एक बार फिर से झोली फैलाना पड़ सकता है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार की गुहार के बाद आईएमएफ ने उसकी अर्थव्यवस्था को तबाही से बचाने के लिए 6 अरब डॉलर का एक्‍सटेंडेड फंड फैसिलिटी दिया था. इसके तहत एक अगली किश्‍त के रूप में एक अरब डॉलर दिया जाना था. पाकिस्‍तानी मीडिया के अनुसार पाक सरकार और आईएमएफ के बीच इस पैसे को लेकर बात नहीं बन पाई. आईएमएफ को कर्ज के लिए मनाने  की खातिर पाकिस्‍तान के वित्त सचिव लंबे समय से वॉशिंगटन में डेरा डाले हुए हैं.

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आम जनता महंगाई से परेशान

पाकिस्तान के व्यवहार को देखते हुए पूरी डील रद्द होने का खतरा बना हुआ है. ऐसे में आईएमएफ को खुश करने के लिए इमरान सरकार ने पिछले दिनों बिजली के दाम में 1.39 रुपये प्रति यूनिट, पेट्रोल के दाम में 10.49 और डीजल के दाम में 12.44 रुपये की  वृद्धि कर दी थी. इमरान सरकार के इस कदम से आईएमएफ तो खुश नहीं हुआ मगर जनता की स्थिति और बेहाल हो गई। ऐसा कहा जा रहा है कि पाकिस्‍तान को अभी बिजली की दर  को डेढ़ से लेकर ढाई रुपये तक बढ़ाना होगा. 

1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज

विदेशी कर्ज न लेने का वादा कर सत्ता मेंआई इमरान खान सरकार लगातार लोन लेती जा रही है. हाल में ही पाक की संसद में इमरान खान सरकार ने खुलासा किया था कि अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है। इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये तक है. ये कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है। कर्ज का बोझ पाकिस्तानियों पर बीते दो साल में बढ़ा है.