गौर से सुनो इमरान, कातिल है तुम्हारा दोस्त एर्दोगान, इस्लाम और ईमान दोनों को भूल गए तालिबान खान
रोजावा में ना स्कूल बचे हैं ना अस्पताल. आर्टिलरी फायरिंग से उन इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है, जो कुर्द मिलिशिया को इलाज या छिपने में मदद कर सकते हैं.
नई दिल्ली:
एर्दोगान के बेरहम इरादों के चलते तुर्की (Turkey) और सीरिया (Syria) के बॉर्डर पर बसा रोजावा एक रणभूमि में तब्दील हो गया है, एक ऐसी रणभूमि जिसपर तबाही बरसाना चाहता है तुर्की (Turkey) और जिसकी आजादी के लिए मर मिटने को तैयार हैं कुर्द लड़ाके. 9 अक्टूबर को तुर्की (Turkey) के राष्ट्रपति एर्दोगान ने ऑपरेशन पीस स्प्रिंग का ऐलान किया था. पिछले 5 दिनों के अंदर रोजावा पर लगातार बमबारी की जा रही है.
तुर्की (Turkey) की वायुसेना की हवाई बमबारी ने रोजावा को पूरी तरह तबाह कर दिया है. रोजावा में ना स्कूल बचे हैं ना अस्पताल. आर्टिलरी फायरिंग से उन इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है, जो कुर्द मिलिशिया को इलाज या छिपने में मदद कर सकते हैं.
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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 60 हजार से ज्यादा कुर्द रोजावा से पलायन कर चुके हैं. तकरीबन 11 ऐसे गांव हैं जो पूरी तरह खाली हो चुके हैं. तुर्की (Turkey) की फौज के साथ ही साथ कुछ कट्टरपंथी मिलिशिया भी कुर्दों पर हमला कर रहे हैं.इन्हें तुर्की (Turkey) की फौज का समर्थन हासिल है. ऐसा ही एक मिलिशिया है. अहरार अल शर्किया ने अल याबसेह शहर को कब्जा लिया है.
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इसी हमले में अहरार अल शर्किया के आतंकियों ने फ्री सीरिया (Syria) पार्टी की महासविच हर्विन खलफ को बेरहमी से कत्ल कर दिया. हथियारबंद आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी थी और फिर घायल हेर्विन को टॉर्चर किया था. टॉर्चर के चलते हेर्विन की मौत हो गई. हेर्विन उन चुनींदा चेहरों मे से थीं जो सीरिया (Syria) में मानवाधिकार उल्लंघन का विरोध कर रही थीं .इस कत्ल ओ गारत पर इस्लाम और इंसानियत की दुहाई देने वाले इमरान की खामोशी बताती है कि अपने फायदे के लिए इमरान इस्लाम और ईमान दोनों को भूल गए हैं.
कहा जाता है कि तुर्की की फौज को अल नुसरा फ्रंट, फ्री सीरिया आर्मी, अल शाम लीजन, अहरार अल शर्किया जैसे गुटों का समर्थन हासिल है.वही इनके विरोध में SDF के झंडे तले.YPG, YPJ, सेलजुक ब्रिगेड, शम्मार और अल शैतात कबीलाई मिलिशिया लोहा ले रहे हैं. जंग के मैदान में एक दूसरे का दम तोल रहे इन हथियारबंद गुटों में सबसे ज्यादा चर्चा में है YPJ यानी कुर्द महिला फौजियों की यूनिट.
दुनिया में शायद ही कोई ऐसी मिलिशिया होगी, जहां महिलाएं सीधे बंदूक उठाकर दुश्मन के सिर पर निशाना लगाती नजर आएं, लेकिन ये है वो ताकत.जो कुर्दों को दूसरी मिलिशिया से अलग बनाती है. इस महिला बटालियन के बारे में कहा जाता है कि इसमें तकरीबन 5 हजार फाइटर्स हैं.ये सभी महिलाएं हैं और इन्हें सीधे SDF कमांड से ऑर्डर मिलते हैं..ए के 47 से लेकर मोर्टार और आर्टिलरी चलाने में इन मर्दानियों को महारत हासिल है. इस यूनिट की फौजी कोबानी, एलेप्पो और सिंजर के मोर्चों पर लड़ चुकी हैं
YPG कुर्द लड़ाकों की मिलिशिया का नाम है.YPG में 20 से 30 हजार लड़ाके शामिल हैं.और फिलहाल तुर्की की फौज औऱ उससे जुड़े आतंकियों को YPG के लड़ाके ही टक्कर दे रहे हैं. उत्तर पूर्व सीरिया में तुर्की से लगते पूरे बॉर्डर पर YPG काबिज है.हालिया जंग में रैस अल आइन को YPG लड़ाकों ने तुर्की की फौज से छीन लिया है. शनिवार-रविवार की रात को YPG लड़ाकों के एक हमले में तुर्की समर्थित मिलिशिया का एक बेस तबाह हो गया था.
तुर्की और सीरिया की फौज
तुर्की ने रोजावा समेत उत्तर पूर्वी सीरिया में हमले के लिए तकरीबन 80 हजार फौजी भेजे हैं.जिन्हें तुर्की की वायुसेना से सपोर्ट मिल रहा है. फ्री सीरिया आर्मी के बारे में कहा जाता है कि इस गुट के लड़ाके तुर्की की फौज को समर्थन दे रहे हैं. इस्लामिक स्टेट के हमलों के दौरान सीरियाई फौज के हजारों फौजी भागकर तुर्की पहुंच गए थे.इन फौजियों को तुर्की ने ट्रेनिंग दी और फिर फ्री सीरिया आर्मी नाम का मिलिशिया खड़ा कर दिया. फ्री सीरिया आर्मी के साथ ही साथ अल नुसरा फ्रंट जैसे कबीलाई मिलिशिया भी तुर्की की फौज के साथ हैं.
ये हैं रोजावा के वो किरदार हैं जो बारूद के तराजू पर एक दूसरे को तोल रहे हैं.और इस जंग में पिस रहे हैं वो बेगुनाह कुर्द.जो आजादी मांगने निकले थे.लेकिन जवाब में उन्हें मिल रही है मौत
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