पाकिस्तान को अब हैदराबाद निजाम के वंशजों ने ठोका, 3 अरब की संपत्ति का केस जीता
निजाम के आठवें वंशज मुकर्रम जेह ने 70 सालों से विवादाग्रस्त 3 अरब (35 मिलियम पौंड) से अधिक रकम का केस का जीत लिया है. पाकिस्तान सरकार ने इस रकम पर दावा ठोकते हुए ब्रिटेन की अदालत में 2013 में हैदराबाद के निजाम के आठवें वंशज के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
highlights
- निजाम के आठवें वंशज मुकर्रम जेह ने 70 सालों से विवादाग्रस्त 3 अरब से अधिक रकम का केस जीता.
- हैदराबाद के 7वें निजाम ने 1948 में लंदन एक बैंक में 8 करोड़ रुपये (1 मिलियन पाउंड) जमा कराए थे.
- पाकिस्तान ने शिपमेंट की रकम के भुगतान के आधार पर ठोका था दावा. जिसे अदालत ने नकारा.
नई दिल्ली:
हैदराबाद निजाम के आठवें वंशज ने ब्रिटेन की अदालत में संपत्ति से जुड़े मामले में पाकिस्तान को करारा झटका दिया है. निजाम के आठवें वंशज मुकर्रम जेह ने 70 सालों से विवादाग्रस्त 3 अरब (35 मिलियम पौंड) से अधिक रकम का केस का जीत लिया है. पाकिस्तान सरकार ने इस रकम पर दावा ठोकते हुए ब्रिटेन की अदालत में 2013 में हैदराबाद के निजाम के आठवें वंशज के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जाहिर है पाकिस्तान के लिए यह एक और करारा झटका है, क्योंकि पाकिस्तान विभाजन के वक्त के फौरी घटनाक्रम को आधार बना कर इस रकम पर अपना दावा ठोकता आ रहा था.
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8 करोड़ की रकम अब हुई 300 करोड़
हैदराबाद के निजाम की करोड़ों की संपत्ति को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच यह मामला लगभग सात दशकों से चला आ रहा था. इस लंबे विवाद का अंततः बुधवार को अंत हो गया. गौरतलब है कि हैदराबाद के 7वें निजाम ने 1948 में लंदन एक बैंक में 8 करोड़ रुपये (1 मिलियन पाउंड) जमा कराए थे, जो अब बढ़कर 300 करोड़ (35 मिलियन पाउंड) से अधिक हो गई है.
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निजाम के आठवे वंशज ने साथ दिया बारत सरकार का
महत्वपूर्ण बात यह है कि हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जेह और उनके छोटे भाई ने लंदन के नेशनल वेस्टमिनिस्टर बैंक में जमा पैसे को लेकर पाकिस्तानी सरकार के विरुद्ध कानूनी लड़ाई में भारत सरकार का पूरा साथ दिया है. 1948 में हैदराबाद के निजाम के वित्तमंत्री ने ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के बैंक खाते में रकम को ट्रांसफर कर दिया था. फिलहाल ये फंड लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक में जमा है.
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पाकिस्तान का दावा खारिज
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि फैसले में ब्रिटेन की अदालत ने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया है कि इस फंड का उद्देश्य हथियारों की शिपमेंट के लिए पाकिस्तान को भुगतान के रूप में किया गया था. अदालत ने फंड को हैदराबाद के 7वें निज़ाम का माना है. कोर्ट ने ये भी कहा कि निजाम के बाद उनके उत्तराधिकारी या भारत सरकार ही फंड के दावेदार हैं.
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