पाकिस्तान में शिकायत दर्ज़ होने पर बोले हुसैन हक्कानी, प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया गया FIR
हुसैन हक्कानी का एफआईआर दर्ज़ किए जाने के लेकर कहना है कि इस एफआईआर से केई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
नई दिल्ली:
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के खिलाफ पाकिस्तानी सेना और उसकी सरकार को बदनाम करने वाली किताबें और लेख लिखने, साथ ही नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
हुसैन हक्कानी का एफआईआर दर्ज़ किए जाने के लेकर कहना है कि 'इस एफआईआर से केई फर्क नहीं पड़ने वाला है। इसका मक़सद पाकिस्तान के अंदर प्रोपेगेंडा फैलाना है। किसी व्यक्ति के लेख लिखने या किताब लिखने से आर्मी कैसे कमज़ोर हो सकती है या युद्ध कैसे छिड़ सकता है।'
आगे उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान के लिए अच्छा होगा अगर वह संयुक्त राष्ट्र को हाफ़िज़ सईद और उनके संगठन की निगरानी रखने का पूरा अधिकार देता है। सच तो यह है कि पाकिस्तान सईद को पूरी दुनिया से छुपा कर रखना चाहता है। या यूं कहे कि सईद को लेकर पूरी दुनिया में रहस्य बनाए रखना चाहता है।'
इससे पहले ‘डान न्यूज’ ने एफआईआर की जानकारी देते हुए लिखा कि पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कोहाट ज़िले के दो पुलिस थानों में तीन लोगों द्वारा दर्ज़ कराई गई एफआईआर में हक्कानी का नाम भी है।
मोमिन, मोहम्मद असगर और शमसुल हक ने कैंटोनमेंट और बिलिटांग पुलिस थानों में तीन एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पूर्व राजदूत ने देश को अपूरणीय क्षति पहुंचाई और उसे बदनाम किया।
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एफआईआर में आरोप लगाया है कि मेमोगेट घोटाले में हक्कानी शामिल था और उसने अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के तौर पर सेवाएं देते समय ‘सीआईए और भारतीय एजेंटों’ को वीजा जारी किए।
उन्होंने अमेरिका में वर्ष 2008 से 2011 तक राजदूत के रूप में सेवाएं दीं। मेमोगेट विवाद में कथित भूमिका के लिए उन्हें पद से हटा दिया गया था।
पुलिस ने एफआईआर में पाकिस्तान दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) और 121 ए (पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ना) का प्रयोग किया है।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उचित प्रक्रिया के तहत हक्कानी को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए अन्यथा उन्हें भगौड़ा घोषित किया जाएगा।
बता दें कि हक्कानी वर्ष 1992 से 1993 तक श्रीलंका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं।
हक्कानी की ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपे एक लेख के कारण पाकिस्तान के संसद ने भी उनकी निंदा की थी। हक्कानी ने लिखा था कि उन्होंने अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के खात्मे में अमेरिकी बलों की मदद की जबकि सरकार और आईएसआई को इस खुफिया अभियान के बारे में अंधेरे में रखा गया था।
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