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भुखमरी और बेरोजगारी की कगार पर क्यों पहुंचा श्रीलंका? जानिए ये हैं कारण

श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहा है. यहां पर खाने-पीने के समानों पर बेतहाशा महंगाई का असर है.

Updated on: 02 Apr 2022, 07:44 PM

highlights

  • भुखमरी और बेरोजगारी के कारण लंकावासी भारत में शरण लेने की मांग कर रहे हैं
  • श्रीलंका को बाहर निकालने के लिए भारत भी हर तरह की कोशिश में लगा हुआ है 

नई दिल्ली:

Sri Lanka economic crisis: श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहा है. यहां पर खाने-पीने के समानों पर बेतहाशा महंगाई का असर है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि   यहां पर स्कूलों की परीक्षाएं कराने के लिए पेपर और स्याही इंपोर्ट कराने के पैसे तक नहीं    रह गए हैं. कोरोना के कारण यहां पर टूरिज्म पूरी तरह से ठप पड़ चुका है. देश में नौकरियां खत्‍म हो रही हैं. कर्ज गले तक पहुंच चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) खाली हो चुका है.

टूरिज्‍म (Tourism) से लेकर मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्‍टर तक उम्मीद की रोशनी दिखनी बंद हो चुकी है. कर्ज को लेकर अनाप-शनाप खर्च करना लंका को भारी पड़ रहा है. पड़ोस के इस आर्थिक संकट से भारत भी अछूता नहीं है. भुखमरी और बेरोजगारी के कारण लंकावासी भारत में शरण लेने की मांग कर रहे हैं. इस बुरे वक्‍त में श्रीलंका को बाहर निकालने के लिए भारत भी हर तरह  की कोशिश में लगा हुआ है. 

श्रीलंका में दिनों-दिन गहराते आर्थिक संकट से जनता सड़कों पर उतर चुकी है. इसने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. देशभर में जारी प्रदर्शनों के अनुसार राजपक्षे ने सार्वजनिक आपातकाल लगाने का ऐलान किया है. खाने-पीने से लेकर आम जरूरत की हर चीजों का दाम आसमान छू रहा है. महंगाई की दर 17 फीसदी के आसपास पहुंच चुकी है. ग्रोथ में तेज गिरावट देखी गई है. बीते तीन माह में भारत ने श्रीलंका की आर्थिक रूप से 2.4 अरब डॉलर की मदद की है. यह कई तरह से की गई है.

क्‍यों एकदम से फट पड़ा है श्रीलंका?

श्रीलंका की इस दुर्गति को लेकर वह काफी हद तक खुद ही जिम्‍मेदार है. यह संकट मुख्‍य  रूप से विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण सामने आया है. यह दो वर्ष में 70 फीसदी से घटकर फरवरी के अंत तक सिर्फ 2 अरब डॉलर रह गया था. यह दो माह के इंपोर्ट के लिए  भी नाकाफी था. इस साल करीब 7 अरब की कर्ज देनदारी खड़ी है.

कर्ज प्रबंधन में श्रीलंका पूरी तरह से नाकाम हो रहा है. 2007 से ही उसने बड़े पैमाने पर कर्ज उठाए. इस पैसे से उसने कम या बिल्‍कुल कमाई नहीं करने वाले प्रोजेक्‍ट में लगा डाला. बिना सोचे-समझे उसने कई तरह की टैक्‍स रियायतें दे डालीं. इसने मुसीबतें और बढ़ा दीं. ऑर्गेनिक फॉर्म पॉलिसी पर आक्रामक तरह से आगे बढ़ने की वजह से कृषि क्षेत्र को जबर्दस्‍त नुकसान पहुंच रहा है. बीते वर्ष उसने केमिकल फर्टिलाइजर पर बैन लगाया था. इससे उपज पर असर पड़ा. उपज घटने से कृषि उत्‍पादों में कमी आई. कृषि उत्‍पादों के दाम आसमान छूने लगे. फरवरी में खाद्य महंगाई की दर 25.7 फीसदी तक पहुंच गई. 

महंगे कर्ज लेकर उन्‍हें न चुका पाने की वजह से समस्‍या गहराती गई. यह देश चीनी, दवाओं, ईंधन, दाल और खाद्यान्‍न जैसी जरूरत की चीजों को लेकर आयात पर काफी अधिक निर्भर रहा है. फॉरेन रिजर्व से इनके लिए पेमेंट न कर पाने से समस्या बढ़ गईं. इस बीच रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी. इस कारण देश के टूरिज्‍म सेक्‍टर की कमर टूट गई. यह सेक्‍टर देश  की कमाई के प्रमुख स्रोतों में से एक है.