म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई हिंसा की घटना के बाद 6,55,000 लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं। इनमें मुस्लिम के अलावा हिंदू आबादी भी शामिल है। बुरे हालात में राहत शिविर में रह रहे शरणार्थियों को उम्मीद है कि वह जल्द म्यांमार लौटेंगे।
हिंदू किसान सुरोधों पाल ने म्यांमार वापस जाने के लिए तैयारी कर ली है। हालांकि, दूसरी ओर ज्यादातर शरणार्थी में हिंसा का डर बसा है जिसके कारण वह अपने घर नहीं जाना चाहते।
दोनों देशों के बीच एक विवादास्पद समझौते के तहत बांग्लादेश 6,55,000 से अधिक शरणार्थियों को इस महीने के अंत तक म्यांमार वापस भेजना चाहता है। जबकि डरे-सहमे ज्यादातर शरणार्थी वापस नहीं लौटना चाहते हैं।
55 साल के सुरोधों पाल ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि हम सुरक्षा और खाना चाहते हैं। अगर अधिकारियों ने हमें इन चीजों का आश्वासन दे सकती है तो हम खुशी से वापस जायेंगे।
वहीं एक अन्य शरणार्थी मोधुरम पाल ने कहा कि करीब 50 हिंदू रखाइन प्रांत वापस जा चुके हैं। जहां उनका म्यांमार की सेना ने स्वागत किया।
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बता दें कि अगस्त माह के अंत में म्यांमार के रखाइन राज्य में भड़की हिंसा के बाद कम से कम 6,700 रोिंहंग्या मारे गए। बीबीसी की खबर के मुताबिक, बांग्लादेश में शरणार्थियों पर आधारित सर्वेक्षण में सामने आए आंकड़े म्यांमार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आकंड़े 400 से कहीं ज्यादा है।
मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय से म्यांमार ने नागरिकता छीन ली थी और वह बांग्लादेश में बतौर शरणार्थी रह रहे हैं। सरकार उन्हें रोहिंग्या कहकर संबोधित करने के बजाए बंगाली मुस्लिम कह रही है।
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Source : News Nation Bureau