फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने देश में विदेशी इमामों-मुस्लिम शिक्षकों के आने पर पाबंदी लगा दी है. मैक्रों ने कहा है कि देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है. इसके अलावा उन्होंने देश के सभी इमामों को फ्रेंच सीखना अनिवार्य कर दिया है. मैक्रों नह यह भी कहा कि फ्रांस में रहने वालों को कानून का सख्ती से पालन करना होगा. राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि हम विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों की वजह से देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ा है. विदेशी दखलंदाजी भी नजर आती है. उन्होंने कहा, मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते.
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मुस्लिम देशों से किया समझौता तोड़ा
फ्रांस ने 1977 में चार देशों से एक समझौता किया था, जिसके तहत अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की फ्रांस में इमाम, मुस्लिम शिक्षक भेज सकते थे. इसमें यह भी शर्त थी कि फ्रांस में अधिकारी इन इमामों या शिक्षकों के काम की निगरानी नहीं करेंगे. एक आंकड़े के अनुसार, 300 इमाम करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देने के लिए हर साल फ्रांस आते थे, लेकिन अब यह समझौता खत्म हो जाएगा. सरकार ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल को आदेश दिया है कि वह इमामों को स्थानीय भाषा सिखाए और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाएं.
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विदेशी प्रभाव कम करेंगे : मैक्रों
मैक्रों ने कहा, हम इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ हैं. फ्रांस सरकार के पास अब ज्यादा अधिकार हैं. बच्चों की शिक्षा, मस्जिदों को मिलने वाली आर्थिक मदद और इमामों के प्रशिक्षण पर हम ध्यान देंगे. इससे विदेशी प्रभाव भी कम होगा. हम सुनिश्चित करेंगे कि यहां रहने वाला हर व्यक्ति फ्रांस के कानून का पालन और सम्मान करे. फ्रांस में तुर्की का कानून नहीं चल सकता.
Source : News Nation Bureau