logo-image

विदेशी मीडिया पुलवामा हमले पर ऐसे कर रही है रिएक्ट, वाशिंगटन पोस्ट ने इस हमले को भयावह बताया

पूरा विश्व इस हमले की निंदा करते हुए भारत को सहयोग की बात कर रहा है.

Updated on: 23 Feb 2019, 12:22 PM

नई दिल्ली:

भारत के पुलवामा में हुए को एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत चुका है. इस आत्मघाती हमले में भारत को करीब 40 CRPF जवानों की शहादत झेलनी पड़ी. बताया जा रहा है कि विस्फोटक से लदी गाड़ी को हमलावरों ने जवानों से भरे ट्रक के साथ ले जाकर लड़ा दिया. इस त्रासदी के बाद भारत को पूरे विश्वभर से सहयोग और सहानुभूति की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. पूरा विश्व इस हमले की निंदा करते हुए भारत को सहयोग की बात कर रहा है. इस हमले की जिम्मेदारी जैश- ए- मोहम्मद ने ली जो कि पाकिस्तान का एक आतंकी संगठन है जिस पर संयुक्त राष्ट्र में भी केस चल रहा है.

यह भी पढ़ें: Career Guidance: ड्राइंग और पेटिंग में कैसे बनाएं सफल करियर, कमाएं पैसे के साथ नाम भी

इस हमले के बाद पाकिस्तान और भारत दोनों की ही प्रतिक्रिया उम्मीद के मुताबिक ही आईं. दिल्ली ने इस्लामाबाद पर इस पूरे हमले में शामिल होने और षडयंत्र का आरोप लगाया जबकि पाकिस्तान ने आरोपों को साफ खारिज कर दिया. इस आतंकी हमले की मंशा पर भी कई सवाल उठते हैं क्योंकि भारत में अगले ही महीने चुनाव होंने हैं और सत्तारूढ़ बीजेपी पर इस हमले का जवाब देने का दबाव भी है. भारत के प्रधानमंत्री ने पुलवामा हमले के दूसरे ही दिन एक भाषण में कहा था कि हमारा पड़ोसी अगर ये सोचता है कि अगर वो इस तरह की हरकत करके भारत में अस्थिरता जैसा माहौल पैदा कर सकता है तो ये उसकी बड़ी गलती साबित होगी. इस तरह के हमले से भारत को किसी सैन्य कार्यवाही के लिए उकसाने का प्रयास भी माना जा सकता है.

इसके पहले चीनी मीडिया ने पुलवामा हमले पर भारत को नसीहत दी थी कि वो पाकिस्तान और चीन पर ऐसे हमलों में शामिल होने का आरोप न लगाए बल्कि किसी ठोस सबूत के साथ बात करे. अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट में इस हमले को सबसे भयावह हमला बताया है. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसकी कड़ी निंदा की थी.
JMM के नेता और 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले का आरोपी फिर से पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों में कई बार सार्वजनिक रूप से सामने आया और इस हमले में भी उसके तार जुड़े होने के संकेत मिल रहे हैं. मसूद अजहर पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हत्या का प्रयास करने का भी आरोप है लेकिन फिर भी पाकिस्तान में वो बेखौफ घूमता और कई जगहों पर तो रैलियां करता दिखाई पड़ता है. पाकिस्तान में भारत विरोधी रैली हुई- प्रशासित कश्मीर ने उनके द्वारा रिकॉर्ड किए गए व्याख्यान का प्रसारण किया गया है. अजहर की धमकियों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मारने की धमकी शामिल है जो उसने 2014 के पहले दी थी.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान ने UNSC को लिखा पत्र, भारत पर लगाया युद्धोन्माद फैलाने का आरोप

अजहर के वापस दिखाई देने के बाद ही भारत के सैनिकों पर हमलों की संख्या में बढोत्तरी दर्ज की गई है.अफगानिस्तान में युद्ध से अजहर और उनके संगठन के फिर से उभरने की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है. 2014 में, विदेशी लड़ाकू सेना बाहर निकलने की ओर बढ़ रही थी, जो उस समय नाटो सेनाओं के खिलाफ अफगानिस्तान में सक्रिय रूप से भारत-केंद्रित आतंकवादी समूहों को दे रही थी. जिसमें जेएम-सहित भारत-प्रशासित कश्मीर और भारत को व्यापक रूप से उनका ध्यान आकर्षित करने का एक मजबूत प्रोत्साहन था. अमेरिका के बाद तालिबान और Jem और उसके पाकिस्तानी संरक्षको पर दबाव बढ़ा है जिससे कि इन आतंकवादी संगठनों नें भारत और कश्मीर पर अपना ध्यान लगाया है.

जेएएम के पुनरुत्थान के लिए एक और स्पष्टीकरण अलकायदा और इस्लामिक स्टेट की चुनौतियों के बीच कश्मीर में अपनी जिहादी सड़क को फिर से चलाने की इच्छा हो सकती है. हाल के वर्षों में, दोनों समूहों ने कश्मीर में हमलों का दावा किया है. 2013 में भी, असीम उमर, एक अल कायदा प्रचारक, जो अगले साल स्थापित होने पर जिहादी समूह के दक्षिण एशिया अध्याय का प्रमुख बन गया, स्पष्ट रूप से जिहाद के लिए लामबंद होने के लिए भारतीय मुसलमानों को बुलाया गया. पिछले हुए हमलों में भारत के भी कुछ मुसलमान नवयुवक शामिल हैं.

यह भी देखें- 

भारत के हिस्से के कश्मीर को भी पाकिस्तान अपना मानता है और इसीलिए वो कश्मीर में ऐसे संगठन दहशत फैलाते हैं और नये लड़कों का माइंड वॉश करके ऐसे हमलों के लिए तैयार करते हैं. उग्रवादियों की प्रकृति कुछ वर्षों में बदलती जा रही है. ये संगठन और इसके जैसे कई छोटे - छोटे संगठन कश्मीर की वादियों में पनप रहे हैं. ये सब तब से ज्यादा होने लगा जब भारतीय फौजियों ने बुरहान वानी को मौत के घाट उतार दिया था. बुरहान वानी पर कश्मीर में आम जनता और भारतीय सुरक्षा बलों में काफी हिंसक टकराव हुए. इसके अलावा भी भारतीय सुरक्षा बलों पर कई बार कश्मीर में शिकायत या आरोप लगाती आई है कि वो कश्मीरियों को ठीक से व्यवहार नहीं करते. जिस वजह से भी भारतीय सुरक्षा बलों की मुसीबत बढ़ गई है और इन आतंकी संगठनों ने वहां के लोगों से सहानुभूति प्राप्त की है. हालांकि कश्मीर में इन आतंकवादी दहशतगर्दों को केवल एक वर्ग का ही साथ मिलता है जबकि दूसरा वर्ग खुद सामने आकर पुलवामा जैसे हमलों की खिलाफत करता है और पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रकट करता है.