चीन के बाहर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और लोकतंत्र प्रचारकों ने पिछले सप्ताह के अंत में शिनजियांग की क्षेत्रीय राजधानी उरुमकी में एक बंद अपार्टमेंट इमारत में आग लगने के बाद श्वेत पत्र विरोध आंदोलन के समर्थन में सामने आए हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई. आरएफए के मुताबिक, कुछ प्रदर्शनकारियों ने 13 अक्टूबर को बीजिंग में एक ट्रैफिक ब्रिज से ब्रिज मैन को लटकाए जाने के विरोध वाले बैनर के साथ नारे लगाए, जिसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पद छोड़ने और चुनाव कराने के साथ-साथ लॉकडाउन, बड़े पैमाने पर कोविड टेस्ट और निगरानी को खत्म करने का आह्वान किया गया था.
वांग जुंताओ सहित दर्जनों निर्वासित चीनी असंतुष्टों ने चीनी सरकार को लिखे एक खुले पत्र में उन घटनाओं का जिक्र किया है, जिनमें प्रतिभागियों ने सत्तावादी शासन और स्वतंत्रता की कमी के खिलाफ मूक प्रदर्शन के दौरान कोरे कागज की चादरें पकड़े हुए देखे गए. पत्र में कहा गया है, अभी पूरे चीन में गुस्से में सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लोग शून्य-कोविड नीति को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि ये लोगों की पीड़ा की उपेक्षा करती है.
आगे कहा गया है, ऐसे हालात के लिए जिम्मेदार व्यक्ति शी जिनपिंग को पद छोड़ देना चाहिए! पत्र में कोविड-19 उपायों की पूर्ण समीक्षा, प्रभावी टीकाकरण और उपचार कार्यक्रम में अनुसंधान और देशभर में चल रहे लॉकडाउन को खत्म करने का आह्वान किया गया है.
पत्र में कहा गया है, चीन सरकार को शी जिनपिंग द्वारा महामारी के शुरुआती चरणों के कराए गए कवर-अप की जांच करनी चाहिए .. और कम्युनिस्ट पार्टी और सरकारी अधिकारियों के साथ गलत काम के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराना चाहिए, जिन्होंने उनके अत्याचारी कानूनों को लागू किया.
वर्ष 1989 के पूर्व छात्र नेता वांग डैन, जो ताइवान स्थित डायलॉग चाइना थिंक टैंक चलाते हैं, ने कहा कि सप्ताहांत के अधिकांश विरोध प्रदर्शनों को जारी रखने के लिए विदेशी एकजुटता बहुत महत्वपूर्ण है.
वांग ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों ने पार्टी के भीतर शी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है.
उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए कहा, यह चीनी सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ावा देगा. यह तो सिर्फ शुरुआत है. निश्चित रूप से अगले पांच वर्ष आसान समय नहीं होगा और मुझे संदेह है कि उन्हें कार्यालय में चौथा कार्यकाल मिलेगा.
वांग ने एक दूसरे खुले पत्र पर भी सह-हस्ताक्षर किए, जिसमें सेना से नागरिकों पर गोली नहीं चलाने का आह्वान किया गया था, क्योंकि विरोध प्रदर्शन और फैल जाएगा.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को संबोधित पत्र के अनुसार, हम 4 जून, 1989 के नरसंहार की त्रासदी को नहीं दोहरा सकते.
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Source : IANS