भारतीय मूल के पहले अमेरिकी नागरिक को मिलेगी सज़ा-ए-मौत
भारतीय मूल के पहले अमेरिकी कैदी की फांसी की सज़ा की तारीख अगले महीने तय की गई है।
वॉशिंग्टन:
भारतीय मूल के पहले अमेरिकी कैदी की फांसी की सज़ा की तारीख अगले महीने तय की गई है।
इस कैदी पर अपहरण और फिरौती के लिए 61 वर्षीया वृद्धा और उसकी 10 महीने की पोती की हत्या का आरोप था। इस मामले में कोर्ट ने उसे दोषी ठहराने के बाद फांसी की सज़ा सुनाई थी।
रघुनंदन यंदामुरी (32 वर्षीय) को साल 2014 में मौत की सज़ा सुनाई थी। यंदामुरी की फांसी की तारीख स्थानीय प्राधिकरण ने 23 फरवरी तय की है, हालांकि ऐसी संभावना है कि उसकी सजा टल जाए।
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ऐसा इसलिए की साल 2015 में पेनिसिल्वा के गवर्नर टॉम वुल्फ ने मौत की सजा पर रोक प्रस्ताव लाया था। यंदामुरी, सज़ा-ए-मौत पाने वाले पहले भारतीय-अमेरीकन नागरिक है। रघुनंदन आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और वो एच1बी वीजा के जरिए अमेरिका आए थे।
यंदामुरी के पास इलेक्ट्रिकल और कंम्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में एडवांस डिग्री है। पेनिसिल्वा में पिछले 20 सालों में किसी को सज़ा-ए-मौत नहीं सुनाई गई है। 1976 के बाद से तीन लोगों को सज़ा-ए-मौत सुनाई जा चुकी है।
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