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चीन में मानव के शरीर पर पहले कोविड-19 टीके का परीक्षण, जानिए क्या मिल परिणाम

पहले चरण के परीक्षण से पता चला है कि यह टीका सुरक्षित है और इस की अच्छी सहनशीलता है, लेकिन अधिक अध्ययन की जरूरत है कि क्या यह टीका कोविड-19 संक्रमण की प्रभावी रोकथाम कर सकेगा या नहीं.

Updated on: 26 May 2020, 12:18 AM

नई दिल्ली:

चीनी अनुसंधान टीम ने ने कोविड-19 टीके का मानव पर परीक्षण किया है. इस बात की जानकारी चीनी अनुसंधान टीम ने ब्रिटिश चिकित्सा पत्रिका द लासेंट को दी है. पहले चरण के क्लिनिकल परीक्षण परिणाम से जाहिर है कि यह टीका सुरक्षित है. चीनी विज्ञान अकादमी के सदस्य रो त्सी ह ने बताया कि निसंदेह चीनी वैज्ञानिकों के अध्ययन कार्य ने कोविड-19 महामारी के अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए अहम वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान किये हैं. द लासेंट पर जारी इस टीके का परीक्षण 108 वयस्कों के बीच किया गया.

पहले चरण के परीक्षण से पता चला है कि यह टीका सुरक्षित है और इस की अच्छी सहनशीलता है, लेकिन अधिक अध्ययन की जरूरत है कि क्या यह टीका कोविड-19 संक्रमण की प्रभावी रोकथाम कर सकेगा या नहीं. द लासेंट के मुख्य संपादक रिचोर्ड होर्टन ने सोशल मीडिया पर इस खबर को शेयर किया और इस परीक्षण के परिणाम को मील का पत्थर बताया. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब विश्व में कोविड-19 की रोकथाम के लिए 120 से अधिक टीकों का अनुसंधान चल रहा है, जिन में से कुछ का क्लिनिकल आकलन किया जा रहा है.

14 संभावित टीकों में से 4 का अगले 3 से 5 महीनों में क्लीनिकल ट्रायल
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में कोविड-19 (Covid-19) के इलाज के लिए बनाए जा रहे 14 संभावित टीकों में से चार अगले तीन से पांच महीने में क्लीनिकल परीक्षण के दौर में पहुंच सकते हैं. भाजपा (BJP) प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव से ऑनलाइन संवाद में हर्षवर्धन ने कहा कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए टीका विकसित करने का प्रयास कर रही है.

दुनिया के 100 से अधिक देश टीके विकसित करने में लगे हैं
उन्होंने कहा कि टीका विकसित करने के लिए दुनिया में 100 से अधिक उम्मीदवार हैं और विभिन्न चरणों पर काम कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन इन प्रयासों में समन्वय कर रहा है. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत सक्रियता से इस प्रयास में योगदान कर रहा है. हमारे यहां 14 संभावित टीके बन रहे हैं और विभिन्न चरणों में काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि उद्योग और अकादमिक जगत इसमें योगदान कर रहा है और हमारा विज्ञान मंत्रालय भी इन सभी प्रयासों में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की मदद कर रहा है.