इमरान खान के खिलाफ 27 से 'जंग' का ऐलान, सत्ता से बेदखल करने आ रहा सेना का 'प्यादा'
एक तरफ सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के कारोबारियों संग बैठकें कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ चरमपंथी नेता फजल-उर-रहमान भी बतौर सेना के 'प्यादे' मैदान में उतर आए हैं.
highlights
- जेयूआई-एफ का फजल-उर-रहमान 27 को निकालेगा आजादी मार्च.
- यह मार्च उनकी ओर से इमरान खान सरकार के लिए जंग का ऐलान.
- पाकिस्तान सेना, खुफिया संस्था आईएसआई और कट्टरपंथी आए साथ
इस्लामाबाद:
जैसी उम्मीद की जा रही है, उसी के अनुरूप पाकिस्तानी सेना और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने ही वजीर-ए-आजम इमरान खान के लिए अब मुसीबतें बढ़ाने में लग गई है. एक तरफ सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के कारोबारियों संग बैठकें कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ चरमपंथी नेता फजल-उर-रहमान भी बतौर सेना के 'प्यादे' मैदान में उतर आए हैं. कारोबारी अगर आर्थिक स्रोत के लिए जरूरी हैं, तो फजल-उर-रहमान सरीखे कट्टरपंथी पदारूढ़ सरकार को हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्यादा है. यहां यह भूलना नहीं चाहिए कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ एक समय इमरान खान ने सेना और चरमपंथी नेताओं का ही साथ लिया था, लेकिन अब ये दोनों ही उनकी राह के कांटे साबित हो रहे हैं.
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27 मार्च को आजादी मार्च निकालेगा फजल-उर-रहमान
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजल-उर-रहमान ने आजादी मार्च का ऐलान कर इमरान खान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. खासकर जब इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं कि पाकिस्तान सेना कभी भी उनका तख्तापलट कर सकती है. यह अलग बात है कि खुद को इन कयासों से बेपरवाह दिखाते हुए इमरान खान भारत विरोधी बयानों और कश्मीर राग के जरिए जनता का ध्यान बंटाने में लगे हुए हैं. इस बीच रहमान ने 27 अक्टूबर को आजादी मार्च का ऐलान कर उनके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है.
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इमरान सरकार के खिलाफ 'जंग'
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख फजल-उर-रहमान ने शनिवार को अपने 'आजादी' मार्च को सरकार के खिलाफ 'जंग' करार दिया. उन्होंने कहा कि यह तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक इस सरकार का पतन नहीं हो जाता. उन्होंने पेशावर में एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कहा, 'पूरा देश हमारा युद्धक्षेत्र (वॉरजोन) होगा.' रहमान ने 27 अक्टूबर को राजधानी इस्लामाबाद में 'आजादी' मार्च का ऐलान किया है, जो इमरान खान सरकार के संकट को बढ़ाने वाला ही है.
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इमरान अब भी बेपरवाह
संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठा कर स्वदेश लौटे इमरान का जिस तरह देश में भव्य स्वागत हुआ था, वह 24 घंटे भी नहीं टिका. देश की खस्ताहाल या यूं कहें कि दिवालियेपन की कगार पर पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था पर चारों तरफ से घिरे इमरान को अब कुछ सूझ नहीं रहा, तो संयुक्त राष्ट्र से लौटने के बाद भी कश्मीर राग ही अलाप रहे हैं. वहीं सेना प्रमुख और चरमपंथी मौलाना फजल-उर-रहमान ने जमीनी हालात को समझते हुए उन्हें पीएम पद से हटाने की योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है. सेनाध्यक्ष की कारोबारियों से बैठक और अब कट्टरपंथी रहमान का आजादी मार्च इसी रणनीति का एक हिस्सा है.
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