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Facebook ने दिया भारत को झटका, सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कही ये बड़ी बात

फेसबुक के सीईओ ने कहा,

Updated on: 27 Apr 2019, 09:28 PM

नई दिल्‍ली:

फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि डेटा को स्थानीय स्तर पर संग्रहित करने की भारत की मांग समझी जा सकती है, लेकिन यदि एक देश के लिए ऐसा किया गया तो अधिनायकवादी देशों की ओर से भी इसकी मांग की जा सकती है. उनका कहना है कि ऐसे देश अपने नागरिकों के डेटा का दुरुपयोग कर सकते हैं.

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इतिहासकार व लेखक युवल नोआ हरारी से शुक्रवार को बातचीत में जुकरबर्ग ने कहा कि स्थानीय रूप से डेटा संग्रह के पीछे का जो मकसद व इरादा है, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है. जुकरबर्ग ने एक सवाल के जवाब में कहा, "मुझे लगता है कि मंशा महत्व रखती है और निस्संदेह हममें से कोई भी भारत को अधिनायकवादी देश नहीं मानता है. "

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उनसे पूछा गया था कि क्यों भारतीय नागरिकों का डेटा अमेरिका में संग्रहित करना सुरक्षित है और भारत में नहीं, जबकि वे खुलेआम कह रहे हैं कि उन्हें सिर्फ अपनी चिंता है. फेसबुक के सीईओ ने कहा, "डेटा लोकलाइजेशन पर हमारा रुख खतरे को लेकर है, क्योंकि अगर किसी बड़े देश में हमें ब्लॉक किया जाता है तो इससे हमारे समुदाय और हमारे कारोबार पर असर पड़ेगा. लेकिन डेटा लोकलाइजेशन पर हमारा सिद्धांत नया नहीं है, बल्कि इसको लेकर हमेशा खतरा रहा है. "

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देश के अनुसार, गूगल पे, व्हाट्सएप व अन्य जैसे सभी डिजिटल भुगतान कंपनियों को अपने कारोबार के लिए डेटा का संग्रह अवश्य स्थानीय रूप से करना चाहिए.

बता दें अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) में फेसबुक के खिलाफ हेल्थ डेटा लीक होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसी शिकायत पर फेसबुक मानकर चल रही है कि FTC उसके खिलाफ 5 बिलियन डॉलर यानी करीब 35,125 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा सकता है. फेसबुक ने सतर्कता बरतते हुए डेटा प्राइवेसी से जुड़े मामले में कानूनी खर्चों के लिए 21,075 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान कर दिया है. हालांकि फेसबुक ने यह जानकारी खुद लोगों के सामने रखी है. जुर्माने की इस खबर का कंपनी के शेयर पर कोई असर नहीं पड़ा. बुधवार को फेसबुक के शेयर में दस फीसदी का उछाल देखने को मिला है. बता दें कि FTC 2012 में इसी तरह के एक मामले में गूगल पर 155 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा चुका है.

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दरअसल, हेल्थ डेटा लीक मामला पहली बार जुलाई में आया था. एक खास तरह की बीमारी से पीड़ित महिलाओं के एक ग्रुप को शक हुआ कि उनकी निजी जानकारी जैसे नाम और ईमेल एड्रेस बड़ी आसानी से डाउनलोड किए जा रहे हैं. हालांकि उस समय फेसबुक ने ग्रुप में बदलाव करके इस जानकारी को गुप्त रखने का दावा किया था.