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इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल हुआ इजरायल, भारत ने कहा थैंक्स

इजरायल ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होने की घोषणा की है. जिसके बाद भारत ने इजरायल के अलायंस में शामिल होने पर खुशी जताई है. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इसके लिए इजरायल को धन्यवाद किया है

Updated on: 18 Oct 2021, 04:17 PM

नई दिल्ली:

इजरायल ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस में शामिल होने की घोषणा की है. जिसके बाद भारत ने इजरायल के अलायंस में शामिल होने पर खुशी जताई है. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इसके लिए इजरायल को धन्यवाद किया है. आपको बता दें कि इंटरनेशनल सोलर अलायंस यानी अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन सौर ऊर्जा पर आधारित 124 देशों का एक सहयोग संगठन है, जिसका शुभारंभ भारत व फ्राँस ने 30 नवंबर 2015 को पैरिस में किया था. यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है, जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी.

आपको बता दें कि आईएसए विधानसभा का चौथा सत्र 20 अक्टूबर को वर्चुअल मोड में आयोजित होने वाला है। आईएसए के एक बयान में कहा गया है, "आईएसए की चौथी विधानसभा अगले पांच वर्षों के लिए आईएसए की रणनीतिक योजना पर विचार-विमर्श करेगी, जिसमें एक देश भागीदारी ढांचा, निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए रणनीति, आईएसए की सदस्यता में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्त, मिश्रित वित्त जोखिम शमन सुविधा और व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना जैसी पहल शामिल हैं." असेंबली में आईएसए की विभिन्न प्रमुख पहलों जैसे 'वन सन वन वल्र्ड वन ग्रिड' पहल, एसटीएआरसी परियोजना, 2030 के लिए ट्रिलियन डॉलर सोलर इन्वेस्टमेंट रोडमैप और पिछले एक साल में आईएसए द्वारा की गई प्रगति पर एक अपडेट भी शामिल होगा.

भारत द्वारा शुरू किया गया, आईएसए 124 देशों का एक गठबंधन है, जिनमें से अधिकांश या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित हैं, जिसका प्राथमिक उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए सौर ऊर्जा की कुशल खपत के लिए काम करना है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित एक महत्वाकांक्षी पहल थी और इसका वैश्विक मुख्यालय भारत में है. आईएसए के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, "हम सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की व्यापक तैनाती और सौर बाजारों के विस्तार के लिए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश जुटाने की दिशा में काम कर रहे हैं. इससे तीन अलग-अलग लेकिन परस्पर जुड़े उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी : एक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देना, ऊर्जा पहुंच और ऊर्जा सुरक्षा को सक्षम करना और वितरित करना."