पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड ओल्सन को सेवा में रहते हुए और अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद कतर के लिए अघोषित पैरवी करने का दोषी पाया गया है।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस पर पाकिस्तान में अमेरिकी दूत के रूप में सेवा करते हुए कतर की एक भव्य यात्रा स्वीकार करने का भी आरोप है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ओल्सन ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि के रूप में भी काम किया है। उनपर संघीय अदालत में सेवा में रहते हुए और सेवानिवृत्ति के एक साल के भीतर एक विदेशी देश के लिए लॉबिंग पर प्रतिबंध के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
ओल्सन को राष्ट्रपति के विशिष्ट सेवा पुरस्कार और रक्षा असाधारण नागरिक सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और राज्य विभाग के सुपीरियर सम्मान पुरस्कार के तीन बार प्राप्तकर्ता हैं।
वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वर्जीनिया में रहते थे और वाशिंगटन के थिंक टैंक में दक्षिण एशियाई मामलों पर विचार देते थे, जहां उन्होंने अक्सर आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों की सराहना की।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2012 में ओल्सन को पाकिस्तान भेजा था। उस समय तत्कालीन राजदूत कैमरन मुंटर ने एबटाबाद में 2011 की छापेमारी के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन मारा गया था।
छापे से पहले जाहिर तौर पर मुंटर से सलाह नहीं ली गई थी। उस समय पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण थे क्योंकि इस्लामाबाद को इसके बारे में बाद में सूचित किया गया था।
ओल्सन ने 31 अक्टूबर 2012 को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया और 27 अक्टूबर 2015 तक पाकिस्तान में सेवा की।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, ओल्सन के खिलाफ आरोपों में पद पर रहते हुए विदेश में काम करना और अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वाशिंगटन में कतरी हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करना शामिल है।
अमेरिकी न्याय विभाग ने उन पर नैतिकता की कागजी कार्रवाई(इथिक्स पेपरवर्क) में गलत बयान देने और पूर्व संघीय अधिकारियों द्वारा विदेशी लॉबिंग को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS