EU संसद में CAA विरोधी संयुक्त प्रस्ताव पर आज होगी बहस, जानें फिर क्या होगा

भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव को बुधवार को ब्रसेल्स में होने वाले पूर्ण सत्र में चर्चा के अंतिम एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया है.

भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव को बुधवार को ब्रसेल्स में होने वाले पूर्ण सत्र में चर्चा के अंतिम एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया है.

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Deepak Pandey
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EU संसद में CAA विरोधी संयुक्त प्रस्ताव पर आज होगी बहस, जानें फिर क्या होगा

EU संसद में CAA विरोधी संयुक्त प्रस्ताव पर आज होगी बहस( Photo Credit : फाइल फोटो)

भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) द्वारा पेश पांच विभिन्न संकल्पों से संबंधित संयुक्त प्रस्ताव को बुधवार को ब्रसेल्स में होने वाले पूर्ण सत्र में चर्चा के अंतिम एजेंडे में सूचीबद्ध किया गया है. इस प्रस्ताव में पिछले महीने दिए गए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के बयान को संज्ञान में लिया गया है, जिसमें सीएए को ‘बुनियादी रूप से भेदभाव की प्रकृति’ वाला कहा गया था.

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इसमें संयुक्त राष्ट्र तथा यूरोपीय संघ के उन दिशानिर्देशों को भी आधार बनाया गया है, जिनमें भारत सरकार से संशोधनों को निरस्त करने की मांग की गई है. बुधवार को संसद में सीएए पर चर्चा से पहले यूरोपीय संसद द्वारा ब्रेक्जिट विधेयक पर ऐतिहासिक मुहर लगाई जाएगी, जिसके तहत ब्रिटेन शुक्रवार को औपचारिक रूप से ईयू से अलग हो जाएगा. भारत सरकार का कहना है कि पिछले महीने संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देश का आंतरिक मामला है और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है. भारत ने ईयू के कदम की कड़ी निंदा की है.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यूरोपीय संसद अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को उक्त प्रस्तावों के संदर्भ में पत्र लिखकर कहा कि एक देश की संसद द्वारा दूसरी संसद के लिए फैसला देना अनुचित है और निहित स्वार्थो के लिए इनका दुरुपयोग हो सकता है. बिरला ने पत्र में लिखा कि अंतर संसदीय संघ के सदस्य के नाते हमें दूसरे देशों, विशेष रूप से लोकतांत्रिक देशों की संसद की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान रखना चाहिए.

उन्होंने कहा कि  यूरोपीय संसद के प्रस्ताव में मुसलमानों को संरक्षण प्रदान नहीं किए जाने की निंदा की गई है. इसमें यह भी कहा गया है कि भूटान, बर्मा, नेपाल और श्रीलंका से भारत की सीमा लगी होने के बाद भी सीएए के दायरे में श्रीलंकाई तमिल नहीं आते जो भारत में सबसे बड़ा शरणार्थी समूह है और 30 साल से अधिक समय से रह रहे हैं.

Source : Bhasha

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