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बेल्जियम में बुजुर्गों को लग रहा डर, कोरोना नहीं अकेलापन ले लेगा जान

कोरोना वायरस महामारी ने यूरोप में वृद्धाश्रमों पर भी गहरा प्रभाव डाला है. संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद जारी बंदिशों के कारण यहां रहने वाले बुजुर्ग निराशा और अलग-थलग जीवन गुजार रहे हैं और हालात ऐसे हैं कि वो किसी से मिल भी नहीं सकते.

कोरोना वायरस महामारी ने यूरोप में वृद्धाश्रमों पर भी गहरा प्रभाव डाला है. संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद जारी बंदिशों के कारण यहां रहने वाले बुजुर्ग निराशा और अलग-थलग जीवन गुजार रहे हैं और हालात ऐसे हैं कि वो किसी से मिल भी नहीं सकते.

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Kuldeep Singh
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बेल्जियम में बुजुर्गों को लग रहा डर, कोरोना नहीं अकेलापन ले लेगा जान( Photo Credit : प्रतीकात्मक फोटो)

कोरोना वायरस महामारी ने यूरोप में वृद्धाश्रमों पर भी गहरा प्रभाव डाला है. संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद जारी बंदिशों के कारण यहां रहने वाले बुजुर्ग निराशा और अलग-थलग जीवन गुजार रहे हैं और हालात ऐसे हैं कि वो किसी से मिल भी नहीं सकते. संक्रमण ना फैले इसलिए अपने परिवारों से दूर वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों को यह डर भी सता रहा है कि अकेलेपन से कहीं उनकी जान ना चली जाए. वृद्धाश्रम में रहने वाले लोग भी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं.

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ब्रसेल्स से थोड़ी दूर ‘रेजिडेंस क्रिस्टालेन’ में हेड नर्स शर्ली डोयन को भी यही डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि अगर कुछ और महीनों तक लॉकडाउन चलता रहा तो कोरोना वायरस की तुलना में अकेलेपन से यहां कई लोगों की मौत हो जाएगी. मार्च के मध्य में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से बेल्जियम में उन्होंने 120 लोगों के आश्रय स्थल में इस तरह की 13 मौतें देखी हैं. सारी मौतें सीधे तौर पर महामारी से नहीं जुड़ी हैं क्योंकि बहुत कम ही जांच हुई. बेल्जियम में आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस से 5,453 लोगों की मौत हुई है. मौत के शिकार इनमें से 2,772 लोग सेवानिवृत्ति के बाद वृद्धाश्रमों में रह रहे थे.

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ज्यादा से ज्यादा जांच के बिना यह पता कर पाना असंभव है कि आश्रय स्थल फिर से कब वहां के रहने वालों के लिए या वहां आने वालों के लिए सुरक्षित होंगे. हालात ऐसे हैं कि इन आश्रय स्थलों के भीतर रहने वाले बुजुर्ग एक-दूसरे से मिल भी नहीं सकते. भोजन कक्ष और अन्य जगहों पर भी जाने पर पाबंदी है. डोयन ने कहा कि अपने-अपने बेडरूम तक लोग सिमट चुके हैं. एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. जरूरत है कि कैंटीन को फिर से खोला जाए. लंबे समय से वृद्धाश्रम में रह रहे मार्क पारामेंटियर (90) ने भी संक्रमण की जांच करायी है लेकिन वह अपनी निराशा छिपा नहीं पाते.

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उन्होंने कहा कि किसी को भी नहीं देख पाना अंधेरा के समान है. सब अकेले हैं. ऐसे समय में आपको और डर लगता है. पहले मैं खाना खाने से पहले दोस्तों के घर जाता था. इस तरह समय गुजर जाता था. लेकिन अब तो सब बंद है.यहीं तक सिमट चुका हूं. बेल्जियम में इस पर भी विवाद चल रहा है कि लोगों को अपने बुजुर्ग रिश्तेदारों से मिलने के लिए कब इजाजत दी जाएगी. पिछले सप्ताह सरकारी अधिकारियों ने सुझाव दिया कि जल्द ही वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को उनके परिवारों से मिलने की इजाजत दी जाएगी लेकिन बाद में सरकार इससे मुकर गयी.

Source : Bhasha

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