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जॉर्जिया पहुंचे जयशंकर का भव्य स्वागत, इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने त्बिलिसी में जॉर्जिया के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री डेविड ज़लकालियानी के साथ द्विपक्षीय बैठक की

Updated on: 10 Jul 2021, 04:10 PM

नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने त्बिलिसी में जॉर्जिया के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री डेविड ज़लकालियानी (Foreign Minister of Georgia, David Zalkaliani) के साथ द्विपक्षीय बैठक की. उप प्रधान मंत्री और जॉर्जिया के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक करने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बतया कि हमारे बीच बहुत अच्छी चर्चा रही. हमने आर्थिक सहयोग, पर्यटन, व्यापार और कनेक्टिविटी पर चर्चा की. उहोंने कहा कि हमारा रिश्ता अच्छा चल रहा है. जॉर्जिया में कुछ बड़ी भारतीय परियोजनाएं हैं. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोनोरी, खाकेती के भारतीय समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित दर्पण प्रशर को भी बधाई दी. विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, "कृषि क्षेत्र में उनकी कड़ी मेहनत ने अच्छा नाम कमाया है. उद्यमी भारतीय हमारे वैश्विक सेतु हैं."

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जॉर्जिया के विदेश मंत्री ने भी जयशंकर के स्वागत की तस्वीरों को ट्वीट किया

आपके बता दें कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर कल यानी शुक्रवार को जॉर्जिया के त्बिलिसी पहुंचे. विदेश मंत्री ने यहां जॉर्जियाई शहर त्स्नोरी, खाकेती के भारतीय समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की.​ जिसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने त्बिलिसी में जॉर्जिया के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री डेविड ज़लकालियानी के साथ द्विपक्षीय बैठक की. वहीं, जॉर्जिया के विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी ने भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के स्वागत की तस्वीरों को ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि जॉर्जिया की पहली यात्रा पर आए मेरे समकक्ष डॉ. एस जयशंकर का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि जयशंकर जॉर्जिया की रानी केतेवन के अवशेष लाए हैं. यह यात्रा निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी. इसके साथ ही हमारे संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने में भी मददगार साबित होगी.

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आपको बता दें कि भारत ने जॉर्जिया की सालों पुरानी मांग पूरी करते हुए 17वीं सदी की महारानी संत केतेवन के अवशेष वहां की सरकार को सौंप दिए. उनके अवशेष 2005 में पुराने गोवा के संत ऑगस्टिन कांवेंट में मिले थे. जानकारी के अनुसार ये अवशेष 1627 में गोवा लाए गए थे.