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सोमालिया में 62 लाख लोग भीषण सूखे की चपेट में, नहीं सुधरे हालात तो महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ बढ़ेगी हिंसा

2010-11 में अकेले सोमालिया में अकाल की वजह से 2.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

Updated on: 24 Feb 2017, 05:06 PM

नई दिल्ली:

सोमालिया तथा केन्या में भीषण सूखे के परिणामस्वरूप यौन हिंसा तथा शोषण जैसी समस्याओं से जूझ रही महिलाओं तथा लड़कियों को मदद की तत्काल जरूरत है। महीनों के सूखे के कारण 1.2 करोड़ लोगों को पेट की आग शांत करने के लिए अपने मवेशियों सहित घर की जरूरी चीजें तक बेचनी पड़ी है।

अकेले सोमालिया में 62 लाख लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एक्शन एड ने यह जानकारी दी। सहायता एजेंसी का मानना है कि अगर यही हालात रहे, तो महिलाओं तथा लड़कियों के प्रति हिंसा व शोषण का खतरा और बढ़ जाएगा।

निरंतर दो मौसम से बेहद कम बारिश के कारण हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र भीषण सूखे से जूझ रहा है। बेहद कम बारिश के कारण प्रभावित इलाकों में व्यापक स्तर पर फसलें बर्बाद हुईं, मवेशियों की मौत हुई, लोगों को अपनी बची-खुची संपत्तियां बेचनी पड़ीं और भोजन तथा पानी की तलाश में अपना घर-बार तक छोड़ना पड़ा। 

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संयुक्त राष्ट्र को आशंका है कि हालात 2010-11 के अकाल से भी भयंकर हो सकता है, जिसमें अकेले सोमालिया में 2.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, इस संकट से निपटने के लिए 1.9 अरब डॉलर की जरूरत है।

सोमालिया में एक्शन एड की कंट्री निदेशक सदिया अब्दी ने कहा कि सोमालिया में 62 लाख लोगों को आपात मदद की जरूरत है, जहां सूखे के कारण 80 फीसदी मवेशियों की मौत हो चुकी है।

वहीं केन्या में एक्शन एड के पॉलिसी मैनेजर रूथ मासिम ने कहा कि केन्या में सूखे के कारण 27 लाख लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है।

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