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Hydroxychloroquine की सप्लाई पर डोनाल्ड ट्रंप बोले- Thank You पीएम मोदी

कोरोना वायरस (Corona Virus) के इलाज में उपयोग होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धन्यवाद कहा है.

Updated on: 09 Apr 2020, 12:24 AM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) के इलाज में उपयोग होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धन्यवाद कहा है. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक ट्वीट में कहा कि मुश्किल हालात में दोस्तों के बीच और सहयोग की जरूरत पड़ती है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर फैसला लेने के लिए भारत और उसके लोगों को धन्यवाद. हम इसे कभी नहीं भुला सकते हैं. इस सहयोग के लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) को शुक्रिया.

मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की भारत में पर्याप्त उत्पादन क्षमता

भारत मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा विनिर्माता है. इस दवा को अब कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में पासा पलटने वाला माना जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी दवा की आक्रमक तरीके से मांग कर रहे हैं. दवा उद्योग का कहना है कि देश के पास हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का तेजी से उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है.

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ट्रंप की इस दवा की मांग के बाद भारत इसके निर्यात पर पाबंदी हटाने को सहमत हो गया है. इससे पहले कोरोना वायरस महामारी के बीच इस दवा समेत दो दर्जन से अधिक रसायनों के निर्यात पर पाबंदी लगायी गयी थी. निर्यात पर पाबंदी हटाने से पहले अधिकारियों ने इस बात का आकलन किया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश को इस दवा की कितनी जरूरत है.

इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन के अनुसार दुनिया में आपूर्ति होने वाली कुल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन में भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है. देश में हर महीने 40 टन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) उत्पादन की क्षमता है. यह 200-200 एमजी के करीब 20 करोड़ टैबलेट के बराबर बैठता है. चूंकि इस दवा का उपयोग रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी ‘आटो इम्यून’ बीमारी के इलाज में भी किया जाता है, इसके कारण विनिर्माताओं के पास उत्पादन क्षमता अच्छी है जिसे वे कभी भी बढ़ा सकते हैं. इपका लैबोरेटरीज, जाइडस कैडिला और वालेस फार्मास्युटकिल्स शीर्ष औषधि कंपनियां हैं जो देश में एचससीक्यू का विनिर्माण करती हैं.

जैन ने कहा कि भारत में मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता पर्याप्त है और अगर जरूरत पड़ती है कंपनियां उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने करीब 10 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट का आर्डर इपका लैबोरेटरीज और जाइडस कैडिला को दिया. इस दवा का विनिर्माण अमेरिका जैसे विकसित देशों में नहीं होता. इसका कारण उन देशों में मलेरिया का नहीं होना है.

हालांकि हाल में इस दवा की खरीद और उपयोग को प्रतिबंधित किया गया क्योंकि इसका उपयोग चयनित रूप से कोरोना वायरस संक्रमित के इलाज में किया जा रहा है. इसका कारण इसमें ‘एंटीवायरल’ विशेषताओं का होना है. भारत एचसीक्यू में इस्तेमाल 70 प्रतिशत जरूरी रसायन चीन से लेता है और फिलहाल आपूर्ति स्थिर है.

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दवा उद्योग के अधिकारियो का कहना है कि देश में एचसीक्यू के पर्याप्त भंडार हैं और कंपनियां घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात को पूरा करने में सक्षम हैं. भारत ने 25 मार्च को एचसीक्यू के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी और इसे दो दर्जन रसायानों (एपीआई) की सूची में डाला जिसका निर्यात नहीं किया जा सकता. भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्यातक है.